मोहन के व्रत पर” से कवव का अलभप्राय ह
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महात्मा गांधी के आह्वान पर पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया. ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके काल कोठरी में ठूंस दिया. उस समय जेल की काल कोठरी अलग तरीके की होती थी. किसी प्रकार की सुविधा नहीं होती थी. अनेक प्रकार की यातनायें दी जाती थी. अपनी मनोदशा, काल कोठरी, एवं वहां की यातनाओं का वर्णन दादा ने अपनी इस कविता में की है. वे कहते हैं कि उन दिनों कैदियों को भरपेट भोजन नहीं दिया जाता था, मरने भी नहीं देते थे. रात-दिन बहुत ही कड़ा पहरा दिया जाता था. कैदी जब रात को सोते थे, तो पहरेदार संतरी उन पर अपनी बूटों से प्रहार करते थे. जिससे उन्हें काफी पीड़ा होती थी. कोयल के माध्यम से दादा कैदियों की दशा और जेल के वातावरण का वर्णन इस प्रकार करते हैं.
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Pls muje Brainliest karo .
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