Social Sciences, asked by devendrajangid443, 2 months ago

मेहरगढ़ में किस प्रकार के घर होते थे?​

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Answered by bhartivb200
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मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण एक स्थान है जहाँ नवपाषाण युग (7००० ईसा-पूर्व से 33००ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। यह स्थान वर्तमान बलूचिस्तान (पाकिस्तान) के कच्ची मैदानी क्षेत्र में है। यह स्थान विश्व के उन स्थानों में से एक है जहाँ प्राचीनतम कृषि एवं पशुपालन से सम्बन्धित साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इन अवशेषों से पता चलता है कि यहाँ के लोग गेहूँ एवं जौ की खेती करते थे तथा भेड़, बकरी एवं अन्य जानवर पालते थे। "[1]. मेहरगढ़ आज के बलूचिस्तान में बोलन नदी के किनारे स्थित है। भारतीय इतिहास में इस स्थल का महत्व अनेक कारणों से है। यह स्थल भारतीय उप महाद्वीप को भी गेंहूँ-जौ के मूल कृषि वाले क्षेत्र में शामिल कर देता है और नवपाषण युग के भारतीय काल निर्धारण को विश्व के नवपाषण काल निर्धारण के अधिक समीप ले आता है। इसके अतिरिक्त इस स्थल से सिंधु सभ्यता के विकास और उत्पत्ति पर प्रकाश पड़ता है। यह स्थल हड़प्पा सभ्यता से पूर्व का ऐसा स्थल है जहां से हड़प्पा जैसे ईंटों के बने घर मिले हैं और लगभग 6500 वर्तमान पूर्व तक मेहरगढ़ वासी हड़प्पा जैसे औज़ार एवं बर्तन भी बनाने लगे थे। निश्चित तौर पर इस पूरे क्षेत्र में ऐसे और भी स्थल होंगे जिनकी यदि खुदाई की जाए तो हड़प्पा सभ्यता के संबंध में नए तथ्य मिल सकते हैं। मेहरगढ़ से प्राप्त एक औज़ार ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। यह एक ड्रिल है जो बहुत कुछ आधुनिक दाँत चिकित्सकों की ड्रिल से मिलती जुलती है। इस ड्रिल के प्रयोग के साक्ष्य भी स्थल से प्राप्त दाँतों से मिले हैं। यह ड्रिल तांबे की है और इस नयी धातु को ले कर आरंभिक मानव की उत्सुकता के कारण इस पर अनेक प्रयोग उस समय किए गए होंगे ऐसा इस ड्रिल के आविष्कार से प्रतीत होता है। एक अन्य महत्वपूर्ण वस्तु है सान पत्थर जो धातु के धारदार औज़ार और हथियार बनाने के काम आता था।

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