(१०) मैं कुर्सी बोल रही हूँ. निबंध लिखिए
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मैं कुरसी बोल रही हूं हर जमाने में मेरा जलवा रहा है.
मुझे हसीनाओं से भी ज्यादा भाव मिले हैं. इतिहास की ज्यादातर लड़ाइयां मेरे लिए ही लड़ी गईं. मैं सब की प्रिय हूं, सभी मेरे लिए जान पर खेलने को तैयार रहते हैं.
लोगों ने मुझे हासिल करने के लिए अपने अजीजों तक को मार डाला. पिता को कारागार में डाल दिया. दोस्तों से मुंह मोड़ लिया. मुझ से नाता तोड़ना बेहद मुश्किल है,
भले ही अपनी बीवी से नाता टूट जाए. राजा, मंत्री, नौकरशाह, बाबू सभी के लिए मैं माननीय हूं. मुझे पाने के लिए राजनीति की बिसात बिछाई जाती है, तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं. राजतंत्र में बाहुबल व कूटनीति के जरीए मैं हासिल होती थी, मगर प्रजातंत्र में वोट ही मुझे पाने का जरीया है. हूं. हर जमाने में मेरा जलवा रहा है.
मुझे
मुझे हसीनाओं से भी ज्यादा भाव मिले हैं. इतिहास की ज्यादातर लड़ाइयां मेरे लिए ही लड़ी गईं.
मैं सब की प्रिय हूं, सभी मेरे लिए जान पर खेलने को तैयार रहते हैं. लोगों ने मुझे हासिल करने के लिए अपने अजीजों तक को मार डाला. पिता को कारागार में डाल दिया. दोस्तों से मुंह मोड़ लिया. मुझ से नाता तोड़ना बेहद मुश्किल है, भले ही अपनी बीवी से नाता टूट जाए. राजा, मंत्री, नौकरशाह, बाबू सभी के लिए मैं माननीय हूं.
मुझे पाने के लिए राजनीति की बिसात बिछाई जाती ए, तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं. राजतंत्र में बाहुबल व कूटनीति के जरीए मैं हासिल होती थी, मगर प्रजातंत्र में वोट ही मुझे पाने का जरीया है.