मालवा के धनकुबेर की कथा का क्या नाम था
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मालवा का पठार विंध्य पहाड़ियों के आधार पर त्रिभुजाकार पठार है। यह एक लावा पठार है |इसके पूर्व में बुदेंलखंड और उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़ियाँ स्थित है। इसकी ढाल उत्तर पूर्व की ओर है। यहाँ की नदियाँ चंबल, काली सिंध, बेतवा, केन आदि है। इस पठार के दक्षिणी ओर दकन का पठार है, जो काफी कटा फटा है। उत्तर में नदियों के कछारी निक्षेप तथा यमुना के खादर क्षेत्र स्थित है। मालवा का पठार भौतिक बनावट के अनुसार उत्तर की आरे विंध्य उच्छृंग तथा दक्षिण की ओर की दकन लावा के पठार में विभाजित ह। विंध्य पहाड़ियों पर सागौन के वन हैं, सामान्य ऊँचे क्षेत्रों मे गाँव तथा नगर बसे हैं। इस पठार में 25 इंच तक वर्षा होती है, पर वर्षा अनिश्चित है। ज्वार, गेहूँ, चना तथा तिलहन के अतिरिक्त लावा की काली रेगर भूमि पर कपास पैदा होती है। इंदौर, ग्वालियर, सीहोर, भोपाल तथा उज्जैन यहाँ के प्रसिद्ध नगर हैं।मालवा मध्यप्रदेश के लगभग 28% भाग का निर्माण करता है।