मानसिक दासता की बेड़ियों तोड़ने से लेखक का क्या आशय है
Answers
➲ मानसिक दासता की बेड़ियों तोड़ने से लेखक का आशय यह है कि मनुष्य राष्ट्रवाद, प्रांतवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, अंधविश्वास आदि संकीर्ण विचारों की बेड़ियों से अपने मन-मस्तिष्क को जकड़े हुए है, उस बेड़ियों (जंजीरों) को वह तोड़ दे और इन संकीर्ण विचारों से बाहर निकल आए।
व्याख्या...
➤ ‘दिमागी गुलाम’ नामक निबंध में लेखक के अनुसार मनुष्य अनेक तरह के संकीर्ण विचारों की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है, जिसमें राष्ट्रवाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद आदि प्रमुख हैं। इन बातों यह एक तरह की मानसिक दासता है और यह संकीर्ण विचार मनुष्य में आपसी झगड़े का कारण बन रहे हैं और देश की विकास में बाधक हैं। इसलिए इन सब के विचारों से मुक्ति ही मानसिक दासता की बेड़ियों तोड़ने के समान है।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
Answer:
मानसिक दासता की बेड़ियां तोड़ने से लेखक की मानसिक दासता की बेड़ियों तोड़ने से लेखक का का क्या आशय है