मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्व प्रदान करने वाला एकमात्र गुरु है, वह है उसका विचार शक्ति। मनुष्य के पास बुद्धि है, विवेक है, तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों की अमूल्य नाथ है। अपने सब विचारों की नींव पर ही आज मानव ने अपनी श्रेष्ठता की स्थापना की है और मानव सभ्यता का विशाल महल खड़ा किया है। यही कारण है कि विचारशील मनुष्य के पास जब सदविचारों का अभाव रहता
तो उसका वह शून्य मानस कुविचारों से ग्रस्त होकर एक प्रकार से शैतान के वशीभूत हो जाता है। मानव बदधि जब सब सद्विचारों से प्रेरित होकर कल्याणकारी योजनाओं में प्रवृत्त रहती है तो उसकी सहृदयता का कोई अंत नहीं होता किंतु जब वहाँ कुविचार अपना घर बना लेते हैं तो उसकी पाशविक प्रवृत्तियाँ उस पर हावी हो उठती हैं। हिंसा और पापाचार का दानवी साम्राज्य इस बात का द्योतक है कि मानव की विचार शक्ति, जो उसे पश बनाने से रोकती है, उसका साथ देती है।
(i)मानव जाति को महत्व देने में किसका योगदान है? (क) शारीरिक शक्ति का
(ख) परिश्रम और उत्साह का (ग) विवेक और विचारों का
(घ) मानव सभ्यता का
(ii) विचारों की निधि में शामिल नहीं है
(क) उत्साह (ख) विवेक (ग) तर्क
(घ) बुद्धि
(iii) मानव में पाशविक प्रवृत्तियाँ क्यों जागृत होती हैं?
(क) हिंसा बुद्धि के कारण
(ख) सत्य बोलने के कारण (ग) कुविचारों के कारण
(घ) स्वार्थ के कारण
(iv) “मनुष्य के पास बुद्धि है, विवेक है, तर्क शक्ति है।" रचना की दृष्टि से यह कथन है
(क) संयुक्त (ख) सरल
(घ) इच्छा वाचक
(ग) मिश्र
(v) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है
(क) मनुष्य का गुरु (ख) विवेक शक्ति (ग) दानवी शक्ति (घ) पाशविक प्रवृत्ति
Answers
Answer:
Explanation:
(1) विवेक और विचारों को ।
(2) उत्साह ।
(3) कुविचारों के कारण ।
(4) मिश्र ।
(5) मनुष्य का गुरु ।
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गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर :
1. मानव जाति को महत्व देने में (ग) विवेक और विचारों का योगदान महत्वपूर्ण है।
अन्य सभी विकल्प गलत है क्योंकि परिश्रम , उत्साह और मानव सभ्यता से नहीं होता है l
2. विचारों की निधि में (क) उत्साह शामिल नहीं है।
विचारों की निधि में विवेक , तर्क और बुद्धि शामिल किए गए हैं l
3. मानव में पाशविक प्रवृतियां (ग) कुविचारों के कारण।
हिंसक बुद्धि सत्य वचन और स्वार्थ के कारण ऐसी प्रवृतियां उत्पन्न नहीं होती है l
4. "मनुष्य के पास बुद्धि है , विवेक है, तर्क शक्ति है।" यह कथन (ग ) मिश्र का है। क्योंकि इस वाक्य में एक से अधिक उपवाक्य जुड़े हुए हैं l
इस वाक्य में किसी इच्छा को प्रकट नहीं किया गया है l यह एक सरल वाक्य भी नहीं है क्योंकि इसमें 1 से अधिक उपवाक्य उपस्थित हैं l
5. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है। (क) मनुष्य का गुरु
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक मनुष्य का गुरु इसलिए है क्योंकि मानव जाति को अन्य जीवधारियों से अलग करके महत्व प्रदान करने वाला जो एकमात्र गुरु है वह उसकी विचार-शक्ति।
मनुष्य के पास बुधि है, विवेक है, तर्कशक्ति है अर्थात उसके पास विचारों की अमूल्य पुँजी है।
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