Geography, asked by Rahulrajwade660, 8 months ago

मानव के प्राकृतिक करण की व्याख्या कीजिए​ 75-100

Answers

Answered by tiwaridfire2003
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Answer:

Explanation:

मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर-विषयक है क्योंकि इसमें मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच अंतर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। अत-इसका अनेक सामाजिक विज्ञानों से गहरा संबंध है; जैसे-सामाजिक विज्ञान, मानोविज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, इतिहास, राजनीतिविज्ञान व जनांकिकी आदि।

मानव के प्राकृतिकरण से तात्पर्य मानव को प्रकृति के अनुसार स्वयं को ढाल लेने से है। आदिम काल में प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यंत निम्न होने के कारण मानव ने प्रकृति के आदेशों के अनुसार ही स्वयं को ढाल लिया था, क्योंकि उस समय मानव प्रकृति को भलीभांति नहीं समझता था । वह प्रकृति को सुनता था उसकी प्रचण्डता  से डरता था और साथ ही वह प्रकृति की पूजा भी करता था।

प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने हेतु महत्वपूर्ण होता है ,साथ ही प्रौद्योगिकी मनुष्य प्रकृति की बंदिशों को कम करने में सहायता करती है । जैसे घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में सहायता की है। प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से अनेक बीमारियों का पर विजय प्राप्त हुई है तथा प्रकृति और प्रौद्योगिकी के ज्ञान से ही अधिक तीव्र गति से चलने वाले वाहन विकसित किया गए।  

उदाहरण - बेदा भारत का आबूझझमाड़ वनों में रहता है जो मध्य भारत में है। वह एक छोटी लंगोटी पहने, हाथ में एक कुल्हाड़ी लिए फिरता रहता है । उसका कबीला कृषि का आदिम रूप स्थानांतरी कृषि करता है।वह  वनों के छोटे-छोटे टुकड़े कृषि के लिए साफ़ करता है । नदी से जल प्राप्त करता है । वह गुदेदार पत्तों और कंदमूल को चबाता है।

उपरोक्त उदाहरण एक कबीले का प्रकृति के साथ संबंध प्रकट करता है । इस प्रकरण में प्रकृति एक शक्तिशाली बल, पूज्य, सत्कार योग तथा संरक्षित है। मानव प्रकृति संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। ऐसे समाजों के लिए भौतिक पर्यावरण 'माता प्रकृति ' का रूप धारण करता है।  

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