मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरी सोइ।
जा तन की झाई पारे, श्यामु-हरित-दुति होइ ॥ me kaun sa alankar है
Answers
Answered by
91
मेरी भववाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँई परे स्याम हरित दुति होय।।
यहाँ श्लेष अलंकार का सुन्दर उदाहरण है।
राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है। दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं।
मेरी भव बाधा हरो भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया एक श्रेष्ठ उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल एंड संस' प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। राघव जी का यह उपन्यास महाकवि बिहारीलाल के जीवन पर आधारित अत्यंत रोचक मौलिक रचना है। यह उपन्यास उस युग के समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन का भी सजीव चित्रण करता है।
akash9717:
Thank u
Answered by
31
मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरी सोइ।
जा तन की झाई पारे, श्यामु-हरित-दुति होइ ॥
उपर्युक्त काव्यांश में श्लेष अलंकार है ।
श्लेष का अर्थ है चिपकना । अथार्त जहाँ कही भी किसी एक शब्द के कई अर्थ मौजूद हो वहाँ श्लेष अलंकार होता है ।
उदहारण - मंगन को देख पट देत बार बार ।
अलंकार - जो धर्म काव्य की सौन्दर्यता बढाने के लिए कवि द्वारा प्रयुक्त किये जाते है उन्हें अलंकार कहते है ।
अलंकार दो प्रकार के होते है -
शब्दालंकार
अर्थालंकार
★ AhseFurieux ★
जा तन की झाई पारे, श्यामु-हरित-दुति होइ ॥
उपर्युक्त काव्यांश में श्लेष अलंकार है ।
श्लेष का अर्थ है चिपकना । अथार्त जहाँ कही भी किसी एक शब्द के कई अर्थ मौजूद हो वहाँ श्लेष अलंकार होता है ।
उदहारण - मंगन को देख पट देत बार बार ।
अलंकार - जो धर्म काव्य की सौन्दर्यता बढाने के लिए कवि द्वारा प्रयुक्त किये जाते है उन्हें अलंकार कहते है ।
अलंकार दो प्रकार के होते है -
शब्दालंकार
अर्थालंकार
★ AhseFurieux ★
Similar questions