मोर पर निबंध essay on peacock in hindi
Answers
Answer: मोर पर निबंध
Explanation:
मोर बहुत ही सुन्दर, आकर्षक तथा शान वाला पक्षी है। बरसात के मौसम में बादलों की काली घटा छाने पर जब यह पक्षी अपने पंख फैलाकर नाचता है तो ऐसा लगता है मानों जैसे इसने हीरों-जड़ें पोशाक पहन ली हो, इसलिए इसे पंछियों का राजा कहा जाता है।
पंछियों के राजा होने के कारण सृष्टि के रचयिता ने इसके सर पर एक मुकुट रूपी कलगी लगाई है। मोर प्रारम्भ से ही मनुष्यों के आकर्षण का केंद्र रहा है। कई धार्मिक ग्रन्थों में मोर को बहुत ही पवित्र माना गया हैं।
हिन्दू धर्म में मोर को मारकर खाना महापाप समझा जाता है। मोर को नाचते देख कर लोगों के पाँव थिरकने लगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, मनुष्य ने मोर के नाच से ही प्रेरित होकर नाचना सीखा था।
मोर एक सर्वाहारी पक्षी है। यह मुख्य रूप से चना, गेहूँ बाजरा, मकई खाता है। इसके अतिरिक्त यह फल और सब्जियाँ जैसे बैगन, अमरुद, अनार, टमाटर, प्याज आदि को बड़े चाव के साथ खाता है। यह खेतों से चूहे, कीड़े-मकोड़े, दिमाक, छिपकली तथा साँपो को खाता है इसलिए इसे किसानों का मित्र भी कहा जाता है। मूलतः मोर वन्य-पक्षी है परन्तु भोजन की तलाश, कई बार इन्हें मानव-आबादी तक ले आती है।
मोर की आकृति
मोर की आकृति कुछ हंस की आकृति से मिलती जुलती है। इसकी आँख के नीचे सफेद-रंग का घेरा होता है। इसका नर वर्ग मादा वर्ग से अत्यधिक मनमोहक होता है। जिसका सीना और गर्दन चमकीले नीले रंग का होता है तथा गहरे हरे रंग के पंखों का गुच्छा होता है।
जिनकी संख्या 150 से 200 होती है। मादा(मोरनी) हल्के भूरे रंग की होती है। यह मोर से थोड़ा छोटी होती है, इसके पास पंखों का गुच्छा नहीं होता है। मोर की उम्र 25 से 35 वर्ष होती है। नर मोर की लम्बाई 215 सेंटीमीटर तथा मादा मोर की लम्बाई लगभग 50 सेंटीमीटर होती हैं। नर मोर पर बड़ी कलगी तथा मादा मोर पर छोटी कलगी होती हैं जिससे इन्हें पहचानने में आसनी होती है।
मोर की प्रजातियाँ
मोर की 2 प्रजातियाँ होती हैं:- नीला या भारतीय मोर(पैवो क्रिस्टेटस), जो भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। हरा व जावा का मोर(पैवो म्यूटिकस), जो म्यांमार तथा जावा में पाया जाता है। सन 1913 में एक पंख मिलने से शुरू हुई खोज के बाद सन 1936 में कांगो मोर(अफ्रो पैवो काँनजेनेसिस) का पता चला।
कांगो मोर मुख्यतः अफ्रीका में पाया जाता है। इसका नर वर्ग नीले या हरे रंग का होता है। जिसकी पूंछ छोटी तथा गोल होती है। कांगो मोर का मादा वर्ग लाल या हरे रंग के होता हैं। इसका ऊपरी भाग भूरे रंग का होता है। यह ज्यादा ऊँचाई तक नहीं उड़ सकते हैं, परन्तु इनके सूंघने की क्षमता बहुत ही तीव्र होती हैं। अपने इन्हीं गुणों के कारण यह अपने दुश्मनों से बच पाते हैं।
Answer:
मोर अपनी मस्त सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह खूबसूरत पक्षी विभिन्न रंगों में आता है। मुख्य रूप से मोर की तीन प्रजातियाँ हैं। ये भारतीय मोर (भारत और श्रीलंका में पाए जाने वाले), ग्रीन पीकॉक (इंडोनेशिया में पाए जाने वाले) और कांगो मोर (अफ्रीका में पाए जाने वाले) हैं। जबकि भारतीय और हरे मोर के सिर पर एक विस्तृत शिखा होती है और दूसरी ओर लंबे रंगीन पंख होते हैं, दूसरी ओर कांगो मोर की कम आकर्षक शिखा और छोटी पूंछ होती है। भारतीय और हरे मोर दोनों बेहद खूबसूरत लगते हैं जबकि कांगो मोर सुस्त दिखाई देते हैं। शरीर और शिखा का रंग मुख्य रूप से भारतीय मोर को हरे मोर से अलग करता है। भारतीय मोर के शरीर का रंग नीला होता है जबकि हरे मोर का शरीर हरे रंग का होता है।
भारतीय मोर को भारत के राष्ट्रीय पक्षी का कद दिया गया है। यह हर्षित और सुंदर पक्षी भारतीय इतिहास के साथ-साथ पौराणिक कथाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
मोर की सुंदरता में चार चांद लगाने वाले रंगबिरंगे और चमकीले पंख भी विभिन्न चीजों और जगहों को संवारने के लिए एक आइटम के रूप में काम करते हैं। इन पंखों के इर्द-गिर्द कई घरेलू सजावट के सामान रखे गए हैं। इन पंखों को शुभ भी माना जाता है और इनका उपयोग सौभाग्य और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। मयूर ने अतीत में कई उल्लेखनीय कलाकारों को प्रेरित किया है और ऐसा करना जारी रखा है।
Hope it Helps !!!!