"मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना को
जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई
छांड़ि दयी कुल की कानि, कहा करि
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खो
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेमि बेलिब
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यह दोहा मीरा बाई द्वारा गया गया h
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श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण...॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण...॥
Om Krishnay namah _/!\_❤
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