मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना- इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक है?
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जब हम निष्क्रिय होकर बेजान की तरह चुपचाप शांति से अन्याय, अत्याचार को सहन करते जाते हैं तब हम मुर्दे जैसी स्थिति में आ जाते हैं। जब हम कोई भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करते; खासकर विपरीत परिस्थिति में तो ऐसी तटस्था निश्चय ही खतरनाक होती है।
हमारे सपनों का मर जाना उस स्थिति की ओर इशारा करता है जब हम अपने भविष्य के सुनहरे सपने बुनना बंद कर देते हैं और यथास्थिति को स्वीकार कर लेते हैं।
ये दोनों स्थितियों सबसे खतरनाक होती है और एक जैसी ही हैं।
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