"मैं सत्य कहता हूँ सखे ! सुकुमार मत जानो मुझे यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे है और की तो बात ही क्या गर्व मैं करता नहीं मामा तथा निज तात से भी समर में डरता नहीं 11 । का अर्थ
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isme abhimanyu apne bade pita yudhishtir se kah rahe h ki main satya kahta hun mujhe kamjor mat samjho mai yamraj se bhi yudh karne ke liye sada tayyar rahta hun. main apne mama krishna aur apne pita Arjuna se bhi yudh m nhi darta
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"मैं सत्य कहता हूँ सखे ! सुकुमार मत जानो मुझे यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे है और की तो बात ही क्या गर्व मैं करता नहीं मामा तथा निज तात से भी समर में डरता नहीं। " का अर्थ निम्न प्रकार से दिया गया है।
- महाभारत के युद्ध में तेरहवें दिन संशप्तकों ने अर्जुन को ललकारा। अर्जुन ने चुनौती स्वीकार करके उनके साथ युद्ध करने दक्षिण की ओर चला गया।
- इधर द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना कर डाली। युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को बुलाकर कहा कि इस वक्त अर्जुन नहीं है, अर्जुन के सिवाय एक तुम है हो जो चक्रव्यूह में प्रवेश कर सकता है तब अभिमन्यु ने कहा कि मै चक्रव्यूह में प्रवेश तो कर सकता हूं परन्तु वहां से निकलने का उपाय मेरे पास नहीं है। तब युधिष्ठिर ने कहा कि तुम चलो हम भी तुम्हारे पीछे आएंगे।
- इसलिए अभिमन्यु ने अपने सारथी से ये कथन कहे ," मित्र मुझे वहां ले चलो जहां द्रोणाचार्य का रथ ध्वज है।"
- जब सारथी ने मानने से इंकार किया तो अभिमन्यु ने उसे समझाते हुए कहा कि हे मित्र मुझे बालक न समझो। मै यमराज से भी नहीं डरता। मै घमंड नहीं करता परंतु युद्ध भूमि में मै अपने मामा तथा पितामह से भी मुकाबला करने से नहीं डरता।
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