Hindi, asked by Manish431, 1 year ago

माता का आँचल पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची हुई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

Answers

Answered by bhatiamona
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माता का आँचल पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची हुई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

माता का आँचल पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची हुई है वह हमारे बचपन की दुनिया से बहुत भिन्न है | हमारा बचपन पहले समय के बचपन से बहुत भिन्न है |

व्याख्या :

हमारे बचपन की दुनिया बहुत अलग है | पहले दादा-दादी के साथ बीतता था और अब बचपन फोन , टीवी आदि से बीतता है जिसमें कोई एहसास नहीं होता है बचपन का अर्थ क्या है | इस तरह बच्चे बचपन से दूर होते है |

आज के समय का बचपन एक कमरे में बंद रह जाता है | बच्चे घर के अंदर की मोबाइल , टेलीविजन , कंप्यूटर , वीडियो गेम , टैब , लैपटॉप आदि चीजों के साथ अपने बचपन को जीते है |

Answered by harshawardhankhedkar
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Answer:

उत्तर- हमारा बचपन इस पाठ में वर्णित बचपन से पूरी तरह भिन्न है। हमें अपने पिता का ऐसा लाड़ नहीं मिला। मेरे पिता प्राय: अपने काम में व्यस्त रहते हैं। प्रायः वे रात को थककर ऑफिस से आते हैं। ये आते ही खा-पीकर सो जाते हैं। मुझसे प्यार-भरी कुछ बातें जरूर करते हैं। मेरे लिए मिठाई, चाकलेट, खिलौने भी ले आते हैं। कभी-कभी स्कूटर पर बिठाकर घुमा भी आते हैं, किंतु मेरे खेलों में इस तरह रुचि नहीं लेते। वे हमें नंग-धड़ग तो रहने ही नहीं देते। उन्हें मानो मुझे कपड़े से ढकने और सजाने का बेहद शौक है। मुझे बचपन में ए एप्पल सी कैट रटाई गई। हर किसी को नमस्ते करनी सिखाई गई। दो ढाई साल की उम्र में मुझे स्कूल भेजने का प्रबंध किया गया। तीन साल के बाद मेरे जीवन से मस्ती गायब हो गई। मुझे मेरी मैडम, स्कूल-इस और स्कूल के काम की चिंता सताने लगी। तब से लेकर आज तक में 90% अंक लेने के चक्कर में अपनी मस्ती को अपने ही पाँवों के नीचे रौंदता चला आ रहा हूँ। मुझे हो- हुल्लड़ करने का तो कभी मौका ही नहीं मिला। शायद मेरा बचपन बुढ़ापे में आए ? या शायद मैं अपने बच्चों या पोतों के साथ खेल कर सकूँ।

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