माता शत्र: पिता वैरी, येन बाली न पाठितः।
शोभते सभामध्ये, हंसमध्ये बको यथा।। translate in hindi
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जो अपने बालक को पढाते नहि, ऐसी माता शत्रु समान और पित वैरी है; क्यों कि हंसो के बीच बगुले की भाँति, ऐसा मनुष्य विद्वानों की सभा में शोभा नहि देता !
माता शत्र: पिता वैरी, येन बाली न पाठितः।
शोभते सभामध्ये, हंसमध्ये बको यथा।।
इस श्लोक का अर्थ है कि ऐसे माता व पिता शत्रु की तरह होते हैं, जो अपनी संतान या पुत्र को विद्या का अध्ययन नहीं करवाते, क्योंकि ऐसा विद्याहीन या अशिक्षित पुत्र विद्वानों व शिक्षित लोगों के बीच वैसे ही शोभा नहीं देता, जिस तरह हंसो के बीच बगुला शोभा नहीं देता।
जो अपने बालक को पढाते नहि, ऐसी माता शत्रु समान और पित वैरी है; क्यों कि हंसो के बीच बगुले की भाँति, ऐसा मनुष्य विद्वानों की सभा में शोभा नहीं देता है |
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मधुरा शर्करा द्राक्षा मधुरा मधुरं मधु।
___मधुरं मातृतुल्यं तु त्रैलोक्येऽपि न किञ्चन।