मीठी वाणी पर अनुच्छेद इं हिंदी इं लोअर लेवल
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मधुर वाणी अथवा मधुरता एक बड़ा शब्द हैं, जिसका प्रयोग विभिन्न अर्थों एवं जीवन के अनेक भागों में किया जाता हैं. यह ऐसा दिव्य गुण है मधुरता के गुण को धारण करने से जीवन में अद्भुत प्रभाव देखे जा सकते हैं. कई सारे जटिल काम और कई रहस्य व् मुश्किलें मधुर वाणी से हल हो जाती हैं. यह सभी को अचानक ही खोलकर रख देती हैं.
भारतीय संस्कृति में किसी कर्म की पूर्णता के लिए अपने इष्ट ईश्वर से प्रार्थना की जाती हैं. साथ ही उनसे यह आशीर्वाद भी लिया जाता हैं हे परम पिता परमेश्वर मेरे मुहं में मधु हो तथा सदैव मैं मधुर वाणी बोलू.
यह मधुर वाणी का ही प्रभाव होता हैं कि जहर से भरा काला नाग भी फन उठाकर दांच करने लगता हैं. हिरण भी मधुर वाणी संगीत से मोहित होकर अपनी आजादी का त्याग कर एक जगह खड़ा ही रहता हैं. बादलों की मधुर गर्जना सुन मोर पंख फैलाकर नृत्य करने लग जाता हैं, कोयल अपनी मधुर वाणी से कू कू का संगीत छेड़ने लगती हैं.
अर्थात जो मधुर मीठी वाणी बोलता हैं उसका इन्तजार करने वाली की लम्बी कतार होती हैं जबकि कर्ण कटु तथा कड़वा बोलने वालो का कोई स्वागत नहीं करता. मधुर वाणी बोलने वाली स्त्री घर को स्वर्ग बना देती हैं. वही सर्वगुणसंपन्न नारी की कटु वाणी पुरे घर के माहौल को नरकमय बना देती हैं. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं उसे अपने दोस्तों पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध रखने पड़ते हैं.
उनके पड़ोसियों के साथ रिश्ते वाणी के स्वरूप पर ही निर्भर करती हैं. एक मधुर वाणी एवं मिलनसार स्वभाव का व्यक्ति अपने शत्रु को भी मित्र बना देता हैं. इसके उल्ट कर्कश वाणी का व्यक्ति अपने अच्छे दोस्त को भी शत्रु बना देता हैं. किसी ने नारी के गुणों के बारें में ठीक ही लिखा हैं कि सुन्दरता, व्यवहार में कुशलता और घर के कामों में निपुण ये नारी के मूल गुण हैं इसी तरह वाणी की मधुरता भी अहम गुण हैं.