मेवाड़-मुकुट खण्डकाव्य के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
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मेवाड़ राजस्थान के दक्षिण-मध्य में स्थित एक रियासत थी। इसे 'उदयपुर राज्य' ( 'चित्तौडगढ राज्य, ) के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आधुनिक भारत के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, तथा चित्तौडगढ़ प्रतापगढ़ जिले थे। मेवाड़ चिन्ह में राजपूत और भील है । सैकड़ों वर्षों तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 वर्ष तक राज किया , मेवाड़ शासकों का राजतिलक भील सरदार अपने अंगूठे के रक्त से करते थे , यह भील सरदार मख्यतः ओगना और उंदेरी के होते थे । बाद में यह अंग्रेज़ों द्वारा शासित राज बना।
१५५० के आसपास मेवाड़ की राजधानी थी चित्तौड़। राणा प्रताप सिंह यहीं के राजा थे। अकबर की भारत विजय में केवल मेवाड़ के राणा प्रताप बाधक बना रहे। अकबर ने सन् 1576 से 1586 तक पूरी शक्ति के साथ मेवाड़ पर कई आक्रमण किए, पर उसका राणा प्रताप को अधीन करने का मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ स्वयं अकबर, प्रताप की देश-भक्ति और दिलेरी से इतना प्रभावित हुआ कि प्रताप के मरने पर उसकी आँखों में आंसू भर आये। उसने स्वीकार किया कि विजय निश्चय ही राणा की हुई। यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में प्रताप जैसे महान देशप्रेमियों के जीवन से ही प्रेरणा प्राप्त कर अनेक देशभक्त हँसते-हँसते बलिवेदी पर चढ़ गए। महाराणा प्रताप की मृत्यु पर उसके उत्तराधिकारी अमर सिंह ने मुगल सम्राट जहांगीर से संधि कर ली। उसने अपने पाटवी पुत्र को मुगल दरबार में भेजना स्वीकार कर लिया। इस प्रकार १०० वर्ष बाद मेवाड़ की स्वतंत्रता का भी अन्त हुआ।