मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो| ख्याल परे ये सखा सबै, मिली मेरो मुख लपटायो | what is the ras evoked in this sentence...if u could please give me the meaning of the sentence too
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मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो| ख्याल परे ये सखा सबै, मिली मेरो मुख लपटायो |
इस दोहे में श्रृंगार और शांत रस का वर्णन किया है।
श्रंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|
शांत रस =जब मनुष्य के मन में आनंद का अभाव हो उसे रस कहते हैं और जब मनुष्य का पूरा ध्यान अध्यात्मिक की और लग जाता है और दुनिया से मोह खत्म होने का भाव उत्पन्न हो जाता है उसके मन को शान्ति प्राप्त होती है उसे शांत रस कहते है|
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो| ख्याल परे ये सखा सबै, मिली मेरो मुख लपटायो |
इस दोहे में श्री कृष्ण जी कह रहे मैया, ये गोपियाँ झूठ बोल रही है। मैंने माखन नही खाया है।