"महिला सेवामण्डल’ ‘शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’ इत्यादीनां संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानम् महत्वपूर्णम्। सत्यशोधकमण्डलस्य गतिविधिषु अपि सावित्री अतीव सक्रिया आसीत्। अस्य मण्डलस्य उद्देश्यम् आसीत् उत्पीडितानां समुदायानां स्वाधिकारान् प्रति जागरणम् इति।।
सावित्री अनेकाः संस्थाः प्रशासनकौशलेन सञ्चालितवती। दुर्भिक्षकाले प्लेग-काले च सा पीडितजनानाम् अश्रान्तम् अविरतं च सेवाम् अकरोत्। सहायता-सामग्रीव्यवस्थायै सर्वथा प्रयासम् अकरोत्। महारोगप्रसारकाले सेवारता सा स्वयम् असाध्यरोगेण ग्रस्ता 1897 तमे ख़िस्ताब्दे निधनं गता।
साहित्यरचनया अपि सावित्री महीयते। तस्याः काव्यसङ्कलनद्वयं वर्तते ‘काव्यफुले’ ‘सुबोधरत्नाकर’ चेति। भारतदेशे महिलोत्थानस्य गहनावबोधाय सावित्रीमहोदयायाः जीवनचरितम् अवश्यम् अध्येतव्यम्।
शब्दार्थ : प्रतिबन्धक-रोकने वाला। स्थापनायाम्-स्थापना में। अवदानम्-योगदान। गतिविधिषु-गतिविधियों में सक्रिया-सक्रिय। उत्पीडितानाम्-सताए गए का। स्वाधिकारान्-अपने अधिकारों के (प्रति)। जागरणम्-जगाना। प्रशासनकौशलेन-निर्देशन की कुशलता से। सञ्चालितवती-चलाया। दुर्भिक्ष काले-अकाल के दिनों में। अश्रान्तम्-बिना थके हुए। अविरतं-लगातार (निरन्तर)। सर्वथा-पूरी तरह से। महारोगप्रसारकाले-महान रोग के फैलाव के दिनों में सेवारता-सेवा में लगी हुई। ग्रस्ता-युक्त। गता-हो गई। महीयते-बढ़-चढ़कर हैं। काव्यसङ्कलनद्वयम्-दो काव्य संग्रह। गहनावबोधाय–गहराई से समझने के लिए। अध्येतव्यम्-पढ़ना चाहिए।
सरलार्थ : ‘महिला सेवा मंडल’, ‘शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’ आदि संस्थाओं की स्थापना में फुले दम्पती को योगदान महत्त्वपूर्ण है। सत्यशोधक मंडल की गतिविधियों में भी सावित्री बहुत सक्रिय थीं। इस मंडल का उद्देश्य पीड़ित समुदायों को अपने अधिकारों के प्रति जगाना था। सावित्री ने अनेक संस्थाओं को अपने निर्देशन की कुशलता से संचालित किया। अकाल के समय और प्लेग के समय उन्होंने पीड़ित लोगों की बिना थके और लगातार सेवा की। सहायता की वस्तुओं की व्यवस्था के लिए पूरा प्रयास किया। महारोग (प्लेग) के फैलाव के समय में सेवा में लगी हुई वे स्वयं इस महामारी से पीड़ित हो गई और सन् 1897 ई० में मृत्यु को प्राप्त हो गईं। | साहित्य रचना में भी सावित्री बढ़-चढ़ कर अर्थात आगे हैं। उनके दो काव्य संग्रह हैं-‘काव्य फुले’ और ‘सुबोध रत्नाकर’। भारत देश में महिलाओं के उत्थान (उन्नति) की स्थिति को गहराई से समझने के लिए सावित्री जी का जीवन परिचय अवश्य पढ़ना चाहिए।
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ok but thanks for points
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