Hindi, asked by akashumrao1234, 6 months ago

महामारी काल में योग का महत्व इस पर अनुच्छेद लिखिए /​

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Answered by abhinavbsf
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Answer:

भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्या‍त्मिक उन्नत‍ि या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है।

ववैदिक जैन और बौद्ध दर्शनों में योग का महत्व सर्वमान्य है। सविकल्प बुद्धि और निर्विकल्प प्रज्ञा में परिणित करने हेतु योग-साधना का महत्व सर्वमान्य स्वीकृत है। सविकल्प और निर्विकल्प क्या होता है इसे 'योग दर्शन' में देखें।

वर्तमान युग : आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।

आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केंद्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिकतर अति-बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनंद लेते हैं जिसका परिणाम संबंधों में तनाव और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।

अंतरिक्ष में योग : योग का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि मनुष्य जाति को अब और आगे प्रगति करना है तो योग सीखना ही होगा। अंतरिक्ष में जाना है, नए ग्रहों की खोज करना है। शरीर और मन को स्वस्थ और संतुलित रखते हुए अंतरिक्ष में लम्बा समय बिताना है तो विज्ञान को योग की महत्ता और महत्व को समझना होगा।

भविष्य का धर्म : दरअसल योग भविष्य का धर्म और विज्ञान है। भविष्य में योग का महत्व बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं से वह सब कुछ बदला जा सकता है जो हमें प्रकृति ने दिया है और वह सब कुछ पाया जा सकता है जो हमें प्रकृति ने नहीं दिया है।

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