History, asked by ayush4836, 1 year ago

महापुरुष ज्योतीस्तंभ क्यू कहे जाते है

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Answered by Anonymous
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आज प्राय : मनुष्य के ह्रदय में सुख-शांति, भाईचारा, आदि गुणों का अत्यंत अभाव सा दिखता है | हिंसा भी उग्र रूप धारण कर रही है और नारी अपमान, दुष्कर्म आदि पाप कर्मों में वृद्धि हुई है | अमीर-गरीब अभी दु:खी हैं | ऐसी विकट स्थिति में मनुष्य सुख-शांति को प्राप्त करने का मार्ग खोजता है – पूछता फिरता है | वर्तमान काल में लुटेरे, मनुष्य की इस कमी को जानते हैं और इसका लाभ उठाकर नए-नए भक्ति के मार्ग इत्यादि बनाकर, दु:खी जनता को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और पूर्ण आश्वाशन देते हैं कि हमारे बताए मार्ग पर चलकर पूर्ण सुख-शांति, धन-सम्पदा प्राप्त होगी, आपकी कामनाएं पूर्ण होंगी इत्यादि | ऐसे ही विभिन्न प्रकार के ढोंगी तथा कथित वैदिक संस्कृति के विरोधी साधु-संत, तांत्रिक और भूत-प्रेत के पुजारी आदि ने भोली जनता को धन आदि से खूब लूटा है और उन्हें भिन्न-भिन्न प्रकार के पाप कर्म करने पर विवश किया है | भोली जनता का इस प्रकार लुटने का कारण केवल एक ही है कि वह अनादि, शाश्वत एवं अविनाशी वैदिक मार्ग को भूल गई है | विशेषकर यह भारतभूमि ऋषि-मुनियों, राजऋषियों, तपस्वियों एवं योगियों की भूमि कहलाती है | इस भूमि ने ही मनु, श्री राम, श्री कृष्ण, अज, हरिश्चंद, ययाति, युधिष्ठिर आदि जैसे असंख्य वेद ज्ञान को जानने और आचरण में लाने वाले राज-ऋषियों को उत्पन्न किया जिन्होंने प्रजा का वैदिक रीति से पालन करके भारत वर्ष को सोने की चिड़िया एवं विश्वगुरु के दिव्य नामों से सुशोभित किया | यहीं पर ऋषि विश्वामित्र, वशिष्ठ मुनि, ऋषि अगस्त्य, श्रृंगी, याज्ञवल्क्य, पाणिनि मुनि, पतांजलि ऋषि, कणाद ऋषि, कपिल मुनि, व्यासमुनि आदि असंख्य ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया और वेद-विद्या को राजा तथा प्रजा, सभी ने घर-घर पहुंचाकर देश को एक सूत्र में बांधा तथा देश को सुद्रढ़ किया | आज वैदिक संस्कृति का लोप प्राय: हो गया है | फलस्वरूप हमें सुख की या देश को समृद्ध बनाने की अथवा राम राज्य वापिस लाने की (राम राज्य में घर-घर वैदिक संस्कृति थी ) इच्छा का त्याग कर देना चाहिए | सुखों को वापिस लाने के लिए जनता पूछती है कि कौन सा रास्ता अपनाएं ?
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