महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के स्वरूप को किस तरह बदल डाला?
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महात्मा गांधी ने निम्नलिखित तरीकों से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के आधार को व्यापक बनाया और 1922 तक इसके स्वरूप को एकदम परिवर्तित कर दिया था:
1915 में भारत आने पर गांधीजी ने सारे भारत का दौरा शुरू किया। उन्होंने स्थानीय आन्दोलनों जैसे-चंपारन, अहमदाबाद व खेड़ा में सत्याग्रह का सफल परीक्षण किया। उन्होंने अपने नेतृत्व में अपनी नीतियों, विचारों, कार्यक्रमों और जन-आंदोलनों द्वारा राष्ट्रिय आंदोलन के स्वरूप को काफी हद तक बदल दिया। गांधीजी के तरीके और विचार के मुख्य सिद्धांत और स्तम्भ थे: सत्याग्रह, अहिंसा, लोक शक्ति में विश्वास, साधन और साध्य की श्रेष्ठता में विश्वास।
महात्मा गाँधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में प्राप्त की गई सफलताओं ने जनशक्ति के महत्व को स्पष्ट कर दिया। अतः भारत लौटने पर गाँधी जी ने देश की बहुसंख्यक कृषक जनता को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की ओर आकर्षित किया और उसे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की मुख्य धारा से जोड़ा।
गांधीजी ने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सच्चे मायनों में जनाधार वाला संगठन बनाया। उन्होंने इसके लिए सावधानीपूर्वक कांग्रेस का पुनर्गठन किया। भारत के विभिन्न भागों में कांग्रेस की नई शाखाएं खोली गई। ग्राम स्तर की कांग्रेस कमेटी भी बनाई गई।
गाँधीजी ने 1920 से 1945 के मध्य 3 बड़े आंदोलन अंग्रेज सरकार के खिलाफ चलाए। इन आंदोलनों में भारतीय जनता के सभी वर्गों ने भाग लिया। जन आंदोलनों ने ही राष्ट्रीय आंदोलन को सही रूप में राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। इन आंदोलनों में मुख्यत आंदोलन: असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन।
महात्मा गाँधी महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्रदान करना चाहते थे और उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन की मुख्य धारा में सम्मिलित करना चाहते थे। हिंदू-मुस्लिम एकता, छुआछूत विरोधी संघर्ष और देश की महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सुधारना, गाँधी जी के तीन महत्त्वपूर्ण लक्ष्य थे।
अत: यह स्पष्ट है कि गाँधी जी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रिय आंदोलन विश्व का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया था। यह पूरा आंदोलन उन्होंने अहिंसात्मक ढंग से चलाया जिसके कारण यह विश्व में काफी विख्यात हुआ।
महात्मा गाँधी के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परिदृश्य में आते ही राष्ट्रीय आंदोलन का स्वरूप एकदम से बदल गया, उसके उल्लेखनीय बिंदु इस प्रकार थे....
- महात्मा गांधी जी राष्ट्रीय आंदोलन के 1919 से 1947 अवधि के दौरान महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के केंद्र बिंदु रहे थे। महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक बनाया और पूरे भारत में इसका विस्तार किया और 1922 तक राष्ट्रीय आंदोलन के स्वरूप को एकदम से ही बदल डाला था। 1915 में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटकर भारत में आजादी के संग्राम में पूर्ण रूप से सक्रिय हुए तो उन्होंने भारत का दौरा करना शुरू किया।
- गांधी जी के प्रमुख सिद्धांत सत्याग्रह, अहिंसा, जनता में विश्वास, सादगी, सरलता, साधन और साध्य की सफलता में विश्वास आदि थे। गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन के माध्यम से सफलता प्राप्त करके आए थे, इसलिए वे जनशक्ति के महत्व को समझते थे। उन्होंने अपने अनुभवी प्रयोग को भारतीय स्वाधीनता संग्राम में आजमाया।
- उन्होंने देश की जनता को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की ओर आकर्षित किया और उसे आंदोलन की मुख्य धारा से जोड़ा। उन्होंने पूरे राष्ट्रीय स्तर पर देशव्यापी दौरा किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जनाधार बढ़ाया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सही मायने में भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन बनाया।
- उन्होंने कांग्रेस का पुनर्गठन किया और एक नई शाखाएं खोलीं। ग्रामीण स्तर पर कांग्रेस को सक्रिय किया।
- गांधीजी ने 1919 से 1945 के बीच अंग्रेजों के विरुद्ध तीन बड़े आंदोलन चलाये। उनके आंदोलनों में जो कि असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों में भारतीय जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
- उनके आंदोलन व्यापक रूप से लोकप्रिय हुये और इसका प्रभाव पड़ा।
- गांधी जी ने देश के बहुसंख्यक किसान वर्ग को आंदोलन से जोड़ने का कार्य किया। इससे किसान वर्ग उनके आंदोलन से स्वयं को जुड़ा हुआ महसूस करने लगा। इस कारण उनके आंदोलन को व्यापकता और विशालता मिली।
- महात्मा गांधी ने महिलाओं को पुरुष के समान आगे आने के लिए प्रेरित किया। वे महिलाओं को पुरुष के समान अधिकार आना चाहते थे इसके लिए उन्होंने आंदोलन में महिलाओं को समान रूप से जोड़ने का कार्य किया।
- गांधी जी भारतीय जनता में एक मसीहा के रूप में बन चुके थे। वह एक ऐसे इकलौते सर्वमान्य नेता थे जो सभी लोगों को स्वीकार्य थे। भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में उस समय उनसे बड़ा नेता और कोई नहीं था। इसलिए उनके द्वारा किए गए हर कार्य का भारतीय जनता जनता और ब्रिटिश सरकार दोनों पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ा।
इस गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के स्वरूप को बदल कर रख दिया था।
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