Hindi, asked by kanika6156, 1 year ago

mahadevi ji ke vyatkitav ki kon se baat aapko saber jayada prabhavit krti h ?? Karan bataye​

Answers

Answered by panesarh989
1

Explanation:

महादेवी वर्मा रहस्यवाद और छायावाद की कवयित्री थीं, अतः उनके काव्य में आत्मा-परमात्मा के मिलन विरह तथा प्रकृति के व्यापारों की छाया स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। वेदना और पीड़ा महादेवी जी की कविता के प्राण रहे। उनका समस्त काव्य वेदनामय है। उन्हें निराशावाद अथवा पीड़ावाद की कवयित्री कहा गया है। वे स्वयं लिखती हैं, दुःख मेरे निकट जीवन का ऐसा काव्य है, जिसमें सारे संसार को एक सूत्र में बाँध रखने की क्षमता है। इनकी कविताओं में सीमा के बंधन में पड़ी असीम चेतना का क्रंदन है। यह वेदना लौकिक वेदना से भिन्न आध्यात्मिक जगत की है, जो उसी के लिए सहज संवेद्य हो सकती है, जिसने उस अनुभूति क्षेत्र में प्रवेश किया हो। वैसे महादेवी इस वेदना को उस दुःख की भी संज्ञा देती हैं, "जो सारे संसार को एक सूत्र में बाँधे रखने की क्षमता रखता है"[1](किंतु विश्व को एक सूत्र में बाँधने वाला दुःख सामान्यतया लौकिक दुःख ही होता है, जो भारतीय साहित्य की परंपरा में करुण रस का स्थायी भाव होता है। महादेवी ने इस दुःख को नहीं अपनाया है। वे कहती हैं, "मुझे दुःख के दोनों ही रूप प्रिय हैं। एक वह, जो मनुष्य के संवेदनशील ह्रदय को सारे संसार से एक अविच्छिन्न बंधनों में बाँध देता है और दूसरा वह, जो काल और सीमा के बंधन में पड़े हुए असीम चेतना का क्रंदन है"[1] किंतु, उनके काव्य में पहले प्रकार का नहीं, दूसरे प्रकार का 'क्रंदन' ही अभिव्यक्त हुआ है। यह वेदना सामान्य लोक ह्रदय की वस्तु नहीं है। संभवतः इसीलिए रामचंद्र शुक्ल ने उसकी सच्चाई में ही संदेह व्यक्त करते हुए लिखा है, "इस वेदना को लेकर उन्होंने ह्रदय की ऐसी अनुभूतियाँ सामने रखीं, जो लोकोत्तर हैं। कहाँ तक वे वास्तविक अनुभूतियाँ हैं और कहाँ तक अनुभूतियों की रमणीय कल्पना, यह नहीं कहा जा सकता"[2]। इसी आध्यात्मिक वेदना की दिशा में प्रारंभ से अंत तक महादेवी के काव्य की सूक्ष्म और विवृत्त भावानुभूतियों का विकास और प्रसार दिखाई पड़ता है। डॉ॰ हज़ारी प्रसाद द्विवेदी तो उनके काव्य की पीड़ा को मीरा की काव्य-पीड़ा से भी बढ़कर मानते हैं।

Answered by Dreamboi
1

Answer:

Unki sabhi bate achi h lekin unki 3 aankh mujhe sabse jyada prabhavit karti h kyuki mere pas nahi h or kafi jagah maine padha/dekha h ki unki 3 ankh agar khul gayi to Puri Srishti ka Nash ho jayega.... xD

Similar questions