Hindi, asked by vidyarathi487, 1 year ago

Mahatma gandhi sukhi and samrudh navbharat mate su bodh aapyo che

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Answered by AbsorbingMan
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महात्मा गाँधी ने सुखी और समृद्ध के लिए कहा है की  

परोपकार से बढ़कर कोई सेवा नहीं

मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं  

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए

अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है

ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो

एक सभ्य घर के बराबर कोई विद्यालय नहीं है  

हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है

किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है

कोई त्रुटी तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती


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