Hindi, asked by Reaj2369, 11 months ago

मन्नू भंडारी की माँ त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा थी - फिर भी लेखिका के लिए आदर्श ना बन सकी। क्यों?

Answers

Answered by bhatiamona
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Answer:

लेखिका मन्नू भंडारी की मां त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा होने के बावजूद भी लेखिका के लिए आदर्श नहीं बन सकी, क्योंकि उसकी मां का कोई अपना व्यक्तित्व नहीं था। उसकी मां अशिक्षित थी और वह हमेशा अपने लेखिका के पिताजी की डांट फटकार सुन लिया करती थी। भले ही लेखिका की मां त्याग और धैर्य की मूर्ति थी लेकिन उनके व्यक्तित्व में लेखिका को ऐसी कोई हमने बात नजर नहीं आएगी वह उनके लिए आदर्श बन पाती।

लेखिका की मां का जीवन एक साधारण गृहिणी की भांति अपने पति, बच्चे और घर की तक ही सीमित रहा। लेखिका को अपनी मां का व्यक्तित्व प्रभावित नहीं कर पाया, इसलिए लेखिका को अपनी मां को अपना आदर्श नहीं बना पाई।

Answered by shakshisharma175
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उत्तर-लेखिका मन्नू भंडारी की माँ में अनेक विशेषताएँ थीं, लेकिन वे उन्हें अपना आदर्श नहीं बना सकीं, क्योंकि लेखिका स्वयं स्वतंत्र विचारों वाली, अपने अधिकार और कर्तव्य को समझने वाली थी। लेकिन माँ पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य समझकर सहन करती थी। माँ की असहाय मजबूरी में लिपटा उनका त्याग, सहनशीलता कभी भी लेखिका का आदर्श नहीं बन सका।

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