मनोवैज्ञानिक जाँच करते समय एक मनोवैज्ञानिक को किन नैतिक मार्गदर्शी सिद्धांतों का पालन करना चाहिए?
Answers
मनोवैज्ञानिक जाँच करते समय एक मनोवैज्ञानिक को निम्नलिखित नैतिक मार्गदर्शी सिद्धांतों का पालन करना चाहिए|
स्वैच्छिक सहभागिता : यह सिद्धांत कहता है की जिन व्यक्तियों पर आप अध्ययन करने जा रहे हैं उन्हें यह निर्धारित करने का विकल्प होना चाहिए की वह अध्ययन में भाग लेना चाहते या नहीं | यह वव्यक्तियों का अपना निर्णय होता है|
सूचित सहमती: यह आवश्यक है की प्रतिभागी को यह पता होना चाहिए की अध्ययन के समय उसके साथ क्या घटित होगा , उसे तैयार हो कर आना चाहिए|
स्पष्टीकरण: अध्ययन समाप्त हो जाने के बाद प्रतिभागियों को वह सब आवश्यक सूचनाएं जिस से वह अनुसंधान को ठीक से समझ सकें |
अध्ययन के परिणाम की भागीदारी: मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों में प्रतिभागियों से सूचनाएं एकत्रित करने के बाद हम अपने कार्य-स्थान पर वापिस आते है , और प्रद्तों का विश्ल करते है और निष्कर्ष निकलते है| अनुसंधानकर्ता के लिए यह आवश्यक है की वह प्रतिभागियों के पास जाकर अध्ययन के परिणाम को उनको बताए|
प्रदत स्रोतों की गोपयिता :अध्ययन के प्रतिभागियों को अपनी निजता का अधिकार होता है| अनुसंधानकर्ता को चाहिए की वह उनकी निजी सूचना को गोपनीय रखे और उनके जीवन में की रक्षा करे|
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