Hindi, asked by rishikggmailcom6155, 11 months ago

Mannu bhandari ne apni maa ke bare me kya kaha tha

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Answered by krishan3584
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हमारी बेपढ़ी-लिखी व्यक्तित्वविहीन माँ...सवेरे से शाम तक हम सबकी इच्छाओं और पिता जी की आज्ञाओं का पालन करने के लिए सदैव तत्पर।
Answered by bhatiamona
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Answer:

मन्नू भंडारी  कहती है , मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं थी | उनके  स्वभाव में धरती से कुछ ज़्यादा ही धैर्य और सहनशक्ति थी | माँ,  पिता जी की हर ज़्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित-अनुचित फरमाइश और ज़िद को अपना फ़र्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थीं । उन्होंने ज़िन्दगी भर अपने लिए कुछ माँगा नहीं, चाहा नहीं...केवल दिया ही दिया। हम भाई-बहिनों का सारा लगाव (शायद सहानुभूति से उपजा) माँ के साथ था लेकिन निहायत असहाय मजबूरी में लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका...न उनका त्याग, न उनकी सहिष्णुता।

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