mata pita ka Aanchal path me Bal Sulabh golapan saralta ka kaise vichitran Kiya gya hai do udharan dijiye
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माता पिता का आँचल पथ में बाल सुलभ गोपालन सरलता का कैसे विचतरण किया गया है :
'माता का अंचल' पाठ लेखक शिवपूजन सहाय के बालपन से जुड़ी हुई कहानी है। यह कहानी पिता और पुत्र के प्रेम से आरंभ होती है।
बच्चे अपने बाल सुलभ क्रीड़ा से प्रसन्न होना , उनके स्नेह वह प्रेम को व्यक्त करता है|
बच्चे अपने माता-पिता के साथ नाना-प्रकार के खेल खेलते है| बच्चे उनके साथ बाते करते है| अपने पिता की गोद में बैठकर या पीठ में सवार घोड़ा-घोड़ा खेलते है|
बच्चे को विपदा के समय अत्यधिक ममता और स्नेह की आवश्यकता थी | लेखक को अपने पिता से बहुत प्यार था लेकिन जब उस पर विपदा आई तो उसे शांति वह प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती | माँ का आंचल में बच्चा अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है |
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