Hindi, asked by habibetharia7367, 1 day ago

मध्य प्रदेश की लोक कलाओं के बारे में विस्तार से लिखिए

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Answered by dikshachavan258
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विभिन्न शिल्प कलाओ में परंपरागत रूप से काम आने वाले लोगों की समाज में बहुत पहले से जातिगत पहचान बन गई थी ! जैसे मिट्टी से कुंभ बनाने वाले कुंभकार, लोहे से गुजार बनाने वाले लोहार, तांबे से काम करने वाले ताम्रकार,लकडी का कार्य करने वाले सुतार, स्वर्ण का काम करने वाले सुनार, बाँस फोड़,बरगुंडा जिनगर,खटीक, पनिका, दर्जी लखेड़ा भरेव कसेरा,घडवा,छिपा,बुनकर सिलावट चितरे आदि जातियों परंपरागत रूप से प्रतिष्ठित हुई !

यह जातियां जीवन उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करने और बिक्री प्रारंभिक से करती आई हैं उपयोगी सामग्री के साथ सौंदर्य परख और अलंकरण युक्त अनुष्ठानिक अनुपूर्तियां भी इन्हीं जातियों पर आश्रित होने के कारण यह जातियां हमारी संस्कृति की धरोहर है

शिल्प विधाओं में संरक्षण विस्तार और सौंदर्य परखता में कई जातियों के पुरातात्विक प्रतीक स्मृतियों को सहज रुप से देखा जा सकता है जिससे उनकी प्राचीन कला और संस्कृति का परिचय मिलता है एक आदिवासी मिट्टी, लकड़ी, लोहे.बॉस,पति पत्तों आदि उपयोगी और कलात्मक वस्तुओं का सृजन परंपरा से करता आया है इसी कारण जनजातियों के पारंपरिक शिल्प में विविध के साथ आदिमता सहज रुप से दिखाई देती है !

Answered by laxmikashyap3feb
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