Mere desh ke naam khat kese likhe hint
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भारत (16 जून 2018 ): इंटरनेट के दौर में जहां हस्तलिपि में लिखना लगभग लुप्तप्राय हो गया है, उस समय में 'हस्तलिपि' को प्रोत्साहित करने के लिए 'भारतीय डाक ( संचार मंत्रालय) ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 'ढाई आखर' नामक 'पत्र-लेखन प्रतियोगिता' का आयोजन किया है। इस प्रतियोगिता का विषय है - 'मेरे देश के नाम खत'। इस प्रतियोगिता का अंतरराष्ट्रीय संस्करण भारतीय मूल व अनिवासी भारतीयों के लिए आयोजित किया गया है।
यह प्रतियोगिता रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित ‘आमार देशेर माटी' (ও আমার দেশের মাটি) से प्रेरित है। यह प्रतियोगिता दो श्रेणियों में आयोजित की गई है - अतर्देशीय पत्र श्रेणी जिसकी शब्द सीमा 500 शब्द है व लिफाफा श्रेणी जिसकी शब्द सीमा एक हजार शब्द है।
श्रेणियों को 18 वर्ष तक के आयु वर्ग व 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में विभाजित किया गया है।
इस प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद पुरस्कार दिया जाएगा। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के विजेताओं को क्रमश: 50,000, 25,000 व 10,000 रूपये का पुरस्स्कार दिया जाएगा।
सहायक डाक अधीक्षक आरके बिनवाल के अनुसार, "डाक सेवाओं की ओर लोगों का रुझान बढ़ाने के लिए विभाग ने राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर जूनियर और सीनियर वर्ग में पत्र लेखन प्रतियोगिता आयोजित की है।"
15 जून से शुरू हुई यह प्रतियोगिता 30 सितंबर 2018 तक होगी। प्रतियोगिता के अंतर्गत 'मेरे देश के नाम खत' लिखकर अंतर्देशीय-पत्र/अंतरराष्ट्रीय-पत्र या लिफाफे में डाक विभाग के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल के नाम डाक से भेजा जाना आवश्यक है।
प्रतियोगिता के तहत आने वाले पत्रों के लिए पोस्ट आफिस में स्पेशल लेटर बाक्स लगाए जा रहे हैं। पत्र प्रधान डाकघर में भी स्वीकार किए जाएंगे।
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देश के नाम चिट्ठी :
मेरा प्यारा देश
दंगे देखे हैं ,बहुत मेरे देश ने I
मुज्ज़फ्फरनगर दंगे देखे,दादरी काण्ड देखा .II
समझोता एक्सप्रेस देखा .तो मुंबई सीरियल ब्लास्ट भी देखा II
लाखों माओं को अपने बेटो की लाश सीने से लगाये रोते देखा I
तो लाखों औरतों को बेवा होते देखा पर आज तक किसी ने ये गौर नहीं किया कि मरने वाले न समाज के ठेकेदार थे ना ही कोई नेता Iमरता तो वो है जिसको कोई नहीं पूछता जैसे हमारे गरीब भाई जब भी हमने इतिहास के पन्ने पलते हैं सिर्फ दंगे लड़ाई जान गयी बच्चे नारी और मासूम गरीबों की Iक्यूँ हमारे देश को लोग प्यार से संम्भाल के नहीं रखते I
हे माँI तुम्हे और क्या लिखूं इस ख़त में इतने बुरे लोगों का साथ है यहाँ कि कुछ भी बताना कम होगा I यहाँ आये दिन नेताओं का काम आम जनता को लूटना रह गया है Iक्यूँ मेरे देश की गरीब जनता इस बात को समझ नहीं पाती Iआये दिन इस दंगे ने किसी को भी चैन से न रहने दिया है Iअब तो ऐसी बुरी स्थति हो गयी है की छोटी सी बच्ची हो या वृद्ध महिला कोई भी कहीं अकेले जाने से डरती है Iइस बिगड़ते माहौल को कौन सुधारे ?
इन्हें तो सिर्फ एक नेता चाहिए जिसका भाषण सुन ये धर्म के नाम पर लड़ते रहें I और भुखमरी से मरते रहें आज लाखों तादाद में बीमारियाँ बढ़ गयी हैं ,पर सबसे बड़ी बीमार है अशिक्षा जो आज भी कई जगह पर है Iजब तक सभी को सही ज्ञान नहीं मिलेगा सही सोच सही दिशा नहीं मिलेगी I तब तक न गरीबी मिटेगी न दंगे फसाद रुकेंगे I
ये देश हमारा है इस देश के हर क्कोने कोने पर हमारा हक है .ना किसी की झूठ से हमारा देश बिक सकता है न ही कोई भी बाहरी आकर हमें उल्लू बना सकता है Iन किसी नेता का इस देश की जनता गरीबी और भुखमरी से मरती रहे और इस देश के नेता वर्ल्ड टूर करते रहें Iइस देश के लोग खुद को तभी सुरक्षित महसूस कर सकते हैं जब सभी को उचित शिक्षा मिले बेरोजगारी हटें औरतों को सम्मान मिले I
तब ये बात सत्य है ये दिन दूर नहीं होगा कि हमारे देश में हर बच्चा ए.पी.जे अब्दुल कलाम ,भगत सिंह,जैसा होगा I इसलिए मेरे प्यारे देश को सुन्दर बनाने के लिए बेवजह झगड़ा करें सभी को सम्मान मिले I
"आओ मिलकर जश्न मन्ये
सुन्दर भारत का इतिहास बनायें
लोगों को हो न कोई भेद भाव
हर पल हर क्षण हो बस प्रेम बहाव "
जय हिन्द जय भारत