Psychology, asked by Anonymous, 1 year ago

my poetry

its perfect or imperfect

एक नदिया है मजबूरी की 
उस पार हो तुम इस पार हैं हम, 
अब पार उतरना है मुश्किल 
मुझे बेकल बेबस रहने दो। 

कभी प्यार था अपना दीवाना सा 
झिझक भी थी एक अदा भी थी, 
सब गुजर गया एक मौसम सा 
अब याद का पतझड़ रहने दो। 

तुम भूल गए क्या गिला करें 
तुम, तुम जैसे थे हम जैसे नहीं, 
कुछ अश्क़ बहेंगे याद में बस 
अब दर्द का सावन रहने दो। 

तेरे सुर्ख लबों के रंग से फिर 
मुझे बिखरे ख्वाब संजोने दो, 
मैं हूँ प्यार का मारा बेचारा 
मुझे बेकस बेखुद रहने दो।


Anonymous: First, you ask question
Anonymous: Sia swift
Anonymous: Are you asking or not
Anonymous: No problem
Anonymous: Bye
siakhan044: Puchla jiniya kuriya de nam puchne a

Answers

Answered by ArushiAnshu
3
Heya mate!
Looks like you like poetry........this is a very nice poem.......keep it up.......you wrote the poem in simple language but it's meaning is very very very very very very very very very very very strong........ALL THE BEST!!
Answered by Doubt1
2
good one...............
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