निबंध लेखन - अनुशासन का महत्व महत्व
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भूमिका
आधुनिक युग में जीवन के चलन की गति बहुत तेज़ हो गई है। समय बहुत अनमोल हो गया है इसलिए अनुशासन और समय की पाबंदी जैसी ख़ूबियाँ होना बहुत अनिवार्य हो गया है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि किसी भी देश की सेना को सबसे ज़्यादा सम्मान दिया जाता है। उसका कारण यही है कि अनुशासन उनकी पहचान है। सेना और अनुशासन शुरू से ही अटूट माने जाते हैं। तो यदि हम सब भी अपने जीवन में अनुशासन ले आएं तो असफलता दूर भाग जाएगी।
अनुशासन के प्रकार
अनुशासन के पालन के आधार पर अनुशासन दो प्रकार का माना जा सकता है– प्रवृत किया अनुशासन और आत्म अनुशासन। नाम से ही संकेत होता है कि प्रवृत्त किया अनुशासन वो होता है जो किसी बहरली वस्तु या इंसान द्वारा किसी व्यक्ति में डाला जाए। जैसे विद्यालय में अध्यापकों से डर कर विद्यार्थी अनुशासन में रहते हैं और नियमों का उल्लंघन नहीं करते। यह प्रवृत अनुशासन का उदाहरण है।
इसके विपरीत आत्म अनुशासन वो होता है जो किसी व्यक्ति में स्वयं स्वभाविक हो, वो अनुशासन जो किसी बाहरी प्रोत्साहन या किसी और व्यक्ति के कहने पर ना हो। सड़क पर यदि ट्रैफिक पुलिस ना भी हो तो भी हम अपनी सुरक्षा के लिए नियमों का पालन करके अनुशासन से गाड़ी चलाते हैं, यह आत्म अनुशासन का उदाहरण है।
प्रवृत्त किया अनुशासन अस्थाई होता है, बाहरी प्रेरणा या किसी बाहरी व्यक्ति का डर ख़तम होते ही वो अनुशासन भी खो जाता है परन्तु आत्म अनुशासन स्थाई है और आदर्श है। यदि हम इसको अपने स्वभाव में घोल लें तो सफलता का आधे से अधिक रास्ता आसानी से तय हो जाए।
अनुशासन में कैसे रहें
अनुशासन में रहना कोई मुश्किल कार्य नहीं है, केवल आदत डालने की बात है। यदि हमारी आदत शुरू से ही नियमों अधीन रहने की हो तो अनुशासन हमारे स्वभाव का ही हिस्सा बन जाता है। इस आत्म अनुशासन में रहने के लिए हमें स्वयं की खुद परखना चाहिए और अपनी ख़ामियों पर कार्य करना चाहिए।
आरम्भ में अनुशासन की आदत डालने के लिए अपने लक्ष्य निर्धारित करें और उन्हें समय और नियमों के अधीन रह कर पूरा करें। शुरुआत में मुश्किल लगेगा परंतु बाद में नियमों की पालना और कार्य दोनों सरल हो जाएंगे। इसके अलावा हमें आत्म अनुशासन में रहने के लिए अपनी व्यकुलताओं को मारना अति अनिवार्य है, वह मनुष्य को उसके सही राह से भटका देती हैं। अपने मन पर काबू करना सीखना होगा।
Reference: Gurukul99