नागरिक संशोधन एक्ट क्लास 10th एस्से इन हिंदी
Answers
Answer:
केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दिये जाने के बाद इसका लोकसभा में पारित होना तय हो गया है। हालांकि विधेयक की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी जहां राजग अल्पमत में है। और जब इस विधेयक पर भाजपा को अपने सहयोगी दलों शिवसेना, जदयू, लोजपा आदि का ही समर्थन प्राप्त नहीं है साथ ही असम गण परिषद ने इस विधेयक के विरोध में भाजपा को दिया गया समर्थन वापस ले लिया है तो यह तय है कि संसद के ऊपरी सदन में इस विधेयक की राह बाधित होगी ही। यह विधेयक 2016 में पहली बार पेश किया गया था लेकिन सरकार का कहना है कि इसका मसौदा दोबारा से तैयार किया गया है। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में इसका वायदा किया था।
नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिए लोकसभा में नागरिकता विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के जरिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना समुचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।