नौका विहार कविता का सारांश बताइए
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प्रसंग प्रस्तुत पद्यांश में कवि पन्त जी ने चाँदनी रात में किए गए नौका-विहार का चित्रण किया है। इसमें कवि ने गंगा की कल्पना नायिका के रूप में की है। व्याख्या कवि कहता है कि चारों ओर शान्त, तरल एवं उज्ज्वल चाँदनी छिटकी हुई है। आकाश टकटकी बाँधे पृथ्वी को देख रहा है।
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