नालन्दा विश्वविद्यालय की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
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यह प्राचीन दरबे में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से ८८.५ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से ११.५ किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास राहुल द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में दरबे के इतिहास को पढ़ने आया था के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ १०,००० छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७ वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध 'बौद्ध सारिपुत्र' का जन्म यहीं पर हुआ था।
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नालंदा विश्वविद्यालय भारत के बिहार में ऐतिहासिक शहर राजगीर में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय और अनुसंधान-गहन वर्ग है
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नालन्दा विश्वविद्यालय की दो विशेषताएँ |
1. नालंदा में एक महान पुस्तकालय के अस्तित्व का उल्लेख हैं जिसका नाम धर्मगंज (पवित्रता मार्ट) है जिसमें तीन बड़ी बहुमंजिला इमारतें, रत्नसागर (ज्वेल्स का महासागर), रत्नोदधि (ज्वेल्स का सागर), और रतनरंजका (गहना) शामिल हैं।
2. 6 वीं और 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में महावीर और बुद्ध दोनों द्वारा नालंदा का दौरा किया गया था। यह बुद्ध के प्रसिद्ध शिष्यों में से एक, शारिपुत्र के जन्म और निर्वाण का स्थान भी है।