निम्नांकित पंक्ति में पहचान कर बताइए कि कौन-सा रस है ? उस रस की परिभाषा देते हुए उसका स्थायी भाव भी लिखिए—
माताहिं पिताहिं उऋण भए नीके । गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के ।।
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माताहिं पिताहिं उऋण भए नीके ।
गुरु ऋण रहा सोच बड़ जी के ।।
इन पंक्तियों में हास्य रस हास्य रस प्रकट हो रहा है। हास्य रस का स्थाई भाव हास है। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की वेशभूषा, उसकी वाणी या उसकी चेष्टा में आई किसी भी विकृति या अनोखी बात को देखकर सहज रूप से हंसी आ जाए। तब वहां पर हास्य रस प्रकट होता है।
उपरोक्त पंक्तियों में उपरोक्त पंक्तियां लक्ष्मण परशुराम संवाद से संबंधित हैं, जब लक्ष्मण परशुराम की क्रोध भरी बातों का जवाब हास्य की शैली में देकर उन पर कटाक्ष कर रहे हैं।
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निम्नांकित पंक्ति में पहचान कर बताइए कि कौन-सा रस है ? उस रस की परिभाषा देते हुए उसका स्थायी भाव भी लिखिए—
अति मलीन बृषभानुकुमारी ।
हरि स्त्रमजल अंतर तनु भीजे ता लालच न धुआवति सारी ।।
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