निम्न वैज्ञानिकों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान कीजिए
(i) कल्पना चावला
(ii) डॉ. विक्रम साराभाई
(iii) डॉ. ए.पी.जे. कलाम।
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(i) कल्पना चावला — कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं। उनका जन्म भारत के करनाल (हरियाणा) में 17 मार्च 1962 को हुआ था। भारत में अपनी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हासिल करने के बाद 1982 में उन्होंने अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1982 में ही वो आगे की पढ़ाई के लिये अमेरिका चली गयीं। अमेरिका में उन्होंने विमानन अभियांत्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि 1984 में और पुनः 1986 में हासिल की। बाद में वो अमेरिका की अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ से जुड़ गयीं और उन्हें 1997 में नासा की अंतरिक्ष यात्रा दल के लिये चुना गया। उन्होंने पहली अंतरिक्ष 1997 में की। सन् 2003 में उनकी दूसरी अंतरिक्ष उनकी जीवन की अंतिम यात्रा साबित हुई, जब नासा अंतरिक्ष यान कोलंबिया पृथ्वी पर वापस लौटते समय 1 फरवरी 2003 को दुर्घटना ग्रस्त हो गया।
(ii) डॉ. विक्रम साराभाई — डॉ. विक्रम साराभाई भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के सूत्रधार और जनक थे। ये भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। जिनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद के एक प्रतिष्ठित जैन परिवार में हुआ था। डॉ. साराभाई के प्रयासों के कारण ही भारत अंतरिक्ष कार्यक्रमों में अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हो सका। डॉ. विक्रम साराभाई का भारत की प्रमुख अंतरिक्ष संस्था ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (ISRO) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसके अतिरिक्त उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में 40 से अधिक संस्थानों की स्थापना की और 86 के लगभग शोधपत्र लिखे। उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च सम्मान पद्मभूषण से और मरणोपरांत द्वितीय सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी मृत्यु 30 दिसंबर 1971 को हुई।
(iii) डॉ. ए. पी. जे. कलाम — डॉ. अबुलपाकिर जैनुलब्दीन कलाम भारत के एक महान वैज्ञानिक और भारत के ग्याहरवें राष्ट्रपति थे। भारत के मिसाइल कार्यक्रमों के जनक के रूप में रूप में जाना जाता है। उन्हें मिसाइल मैन भी कहा जाता है। डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडि, रामेश्वरम् (तमिलनाडु) में हुआ था। डॉक्टर कलाम वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा इसरो के साथ जुड़े और कई परियोजनाओं पर कार्य किया। इसरो में वैज्ञानिक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने कई स्वदेशी उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में भारत ने मिसाइल तकनीक में उत्कृष्टता हासिल की। भारत सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिये पद्म भूषण, पद्मविभूषण और भारत रत्न जैसे सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया है। 27 जुलाई 2015 को शिलांग (मेघालय) में एक कार्यक्रम में उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई।