Political Science, asked by prernavlko3554, 1 year ago

निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

गुटनिरपेक्षता का व्यापक अर्थ है अपने को किसी भी सैन्य गुट में शामिल नहीं करना… इसका अर्थ होता है चीजों को यथासंभव सैन्य दृष्टिकोण से न देखना और इस की कभी जरूरत आन पड़े तब भी किसी सैन्य गुट के नजरिए को अपनाने की जगह स्वतंत्र रूप से स्थिति पर विचार करना तथा सभी देशों के साथ दोस्ताना रिश्ते कायम करना….

(क) नेहरू सैन्य गुटों से दूरी क्यों बनाना चाहते थे?
(ख) क्या आप मानते हैं कि भारत- सोवियत मैत्री की संधि से गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए I
(ग) अगर सैन्य- गुट ना होते तो क्या गुटनिरपेक्षता की नीति बेमानी होती?

Answers

Answered by TbiaSupreme
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"(क)नेहरूजी सैन्य गुटों से दूरी  इसलिए बनाना चाहते थे क्योकि वे जरुरत पड़ने पर अमेरिका और सोवियत संघ दोनों से आर्थिक मदद ले सकें।

और लोकतंत्र की जड़ो को मजबुत बना सके | भारत अपने हित में फ़ैसला ले सके इसलिए वे दोनों गुटों से दूर रह के अपनी स्वतंत्र विदेश-नीति बनाना चाहते थे।

(ख) सन् १९७१  में भारत और सोवियत संघ के बीच मित्रता की संधि हुए थी | इस संधि के अनुसार दोनों देशों में अंतर्राष्ट्रीय दिक्कतों और उनके समाधान से संबंधित विषयो पर मिलकर विचार विमर्श करने का संकल्प लिया गया। इस संधि से गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं हुआ। और भारत इस संधि के बाद भी गुट-निरपेक्षता के मौलिक सिद्धांतों पर कायम रहा |

(ग) गुट-निरपेक्षता की नीति के जनक ही सैन्य-गुट थे। तो ये बात बिल्कुल साफ हैं की जो सैन्य-गुट न होते तो गुट-निरपेक्षता की नीति बेमानी होती। क्योंकि अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दो गुट ही नहीं होते तो भारत को ये नीति अपनाने की कोई जरुरत ही नहीं होती।"

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