निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- वही पुरानी बालाजी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज के लिए जाना पड़ता है। मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का। यह रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता है। इस रास्ते से अमीरुद्दीन को जाना अच्छा लगता है। इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल-बनाव कभी ठुमरी, कभी टप्पे, खभी दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुँचते रहते हैं। रसूलन और बतूलन जब गाती है तब अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है। अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वाकर किय है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका बहिनों को सुनकर मिली है। क) बिस्मिल्ला खाँ कौन थे? बालाजी मंदिर से उनका क्या संबंध है? ख) रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मंदिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को क्यों अच्छा लगता था? ग) 'रियाज़' से क्या तात्पर्य है?
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Answer:
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(क)
बिस्मिल्लाह खान भारत के प्रसिद्ध शहनाई वादक थे। बनारस में जन्मे थे और उन्हें पुराने बालाजी मंदिर में अपने संगीत के लिए रियाज के लिए जाना पड़ता था। उनका मंदिर से यही संबंध था।
(ख)
रसूलन भाई और बतूलन बाई के यहां से होकर बिस्मिल्लाह खान को बालाजी मंदिर जाना इसलिए अच्छा लगता था, क्योंकि जब वहां से गुजरते थे तो उन्हें तरह-तरह की बोल बनाव, ठुमरी तथा संगीत की अन्य ध्वनियाँ और राग सुनाई देते थे। संगीत के विभिन्न रूपों का आनंद लेने के लिए ही बिस्मिल्लाह खान हमेशा ऐसे रास्ते से होकर जाते थे।
(ग)
रियाज का अर्थ है संगीत का अभ्यास। संगीत का निरंतर अभ्यास करते रहना ही रियाज कहलाता है। जिसमें मैं गले की आवाज को ठीक किया जाता और स्वरों को साधा जाता है।निरंतर रियाज करते रहना किसी भी गायक के लिए एक आवश्यक क्रिया है। वैसे रियाज केवल संगीत से संबंध नही रखता। रियाज का वास्तविक अर्थ है अभ्यास, और अभ्यास किसी भई विधा से संबंधित हो सकता है।
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