निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए- जिसके जीवन में जितने अधिक दुख होते हैं वह उतना ही सबल होकर सुख की यात्रा पर निकलता है, क्योंकि दुख विपरीत स्थितियों से जूझने की क्षमता का विकास कर हमारी ऊर्जा को जगाते हैं। कभी-कभी मौसम में बड़ी विषमता दिखाई देती है। गर्मियों में वर्षा हो जाती है और शीतल वायु मौसम को सुहावना बना देती है। कई बार बरसात के मौसम में बादलों का नामोनिशान तक नहीं रहता। कभी सर्दी के मौसम में ठंड और कोहरे से निज़ात मिल जाती है। मौसम की यह प्रतिकूल हमारे अहित में नहीं होती। यही बात मनुष्य के जीवन में सुख-दुख के संबंध में उतनी ही सटीक है। व्यक्ति तथा समाज दोनों के विकास के लिए परस्पर विरोधी भावों का होना अनिवार्य है। ग्रीष्म हो या वर्षा, पदझड़ हो या वसंत, वे एक दूसरे के विरोधी नहीं अपितु पूरक हैं। एक के अभाव में दुसरे में आनंद कहाँ ? सुख की अनुभूति के लिए दुख की अनुभूति होनी आवश्यक है। इसके द्वारा हमारे अंदर की ऊर्जा जागती है। दुखों से कोई भाग नहीं सकता, उनसे जूझना ही पड़ता है। पहिये की तालियों की भाँति सुख-दुख ऊपर-नीचे होते हैं। जीवन भी एक चक्र ही है और चक्र टिकता नहीं, गतिशील रहता है। क) मनुष्य दुखों का सामना करने से सबल कैसे बन जाता है? ख) लेखक ने मौसम की विषमता का उदाहरण क्यों दिया है? ग) सुख की अनुभूति के लिए क्या आवश्यक है? क्यों? घ) पहिये का उल्लेख क्यों किया गया है? ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
Answers
(क) मनुष्य दुखों का सामना करने से सबल कैसे बन जाता है?
उत्तर — मनुष्य जब दुखों का सामना करता है तो उसमें विपरीत परिस्थितियों से जूझने की क्षमता का विकास होता है और उसके अंदर एक आंतरिक ऊर्जा उत्पन्न होती हैय़ यही ऊर्जा उसको सबल बनाती है।
(ख) लेखक ने मौसम की विषमता का उदाहरण क्यों दिया है?
उत्तर — लेखक ने मौसम की विषमता का उदाहरण देकर जीवन में सुख-दुख के परिवर्तन को समझाने की कोशिश की है। जिस तरह मौसम में निरंतर परिवर्तन होता रहता है। गर्मी आती है, सर्दी जाती है फिर सर्दी आती है, गर्मी जाती है या बारिश आती है, गर्मी जाती है। हर मौसम का अपना महत्व है। उसी तरह जीवन में भी सुख का आना-जाना लगा रहता है। सुख आएगा, दुख जाएगा। फिर दुख आएगा, सुख जाएगा।
(ग) सुख की अनुभूति के लिए क्या आवश्यक है? क्यों?
उत्तर — दुखों को भोगे बिना सुख की अनुभूति महसूस नहीं की जा सकती। सुख का सच्चा आनंद पाने के लिये दुखों को महसूस करना आवश्यक है, दुख के बाद का सुख आनंददायक होता है।
(घ) पहिये का उल्लेख क्यों किया गया है?
उत्तर — पहिये का उल्लेख करके जीवन से उसकी तुलना की गई है, क्योंकि पहिए का काम है गतिशील रहना। इसी तरह जीवन में निरंतर गतिशीलता आवश्यक है। जीवन एक पहिए के समान ही है और निरंतर चलते रहना ही जीवन का नाम है। जहां पर जीवन स्थिर हो गया, वहीं पर मृत्यु है।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर — उपर्युक्त गद्यांश के लिये उपयुक्त शीर्षक होगा....