निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
काशी के उत्तर में धर्मचक्र विहार मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति का खण्डहर था । भग्न चूड़ा, तृण-गुल्मों से ढके हुए प्राचीर, ईंटों के ढेर में बिखरी हुई भारतीय शिल्प की विभूति, ग्रीष्म की चन्द्रिका में अपने को शीतल कर रही थी ।
जहाँ पंचवर्गीय भिक्षु गौतम का उपदेश ग्रहण करने के लिए पहले मिले थे, उसी स्तूप के भग्नावशेष की मलिन छाया में एक झोपड़ी के दीपालोक में एक स्त्री पाठ कर रही थी—"अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते ।"
(अ) प्रस्तुत अवतरण का संदर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. स्तूप के अवशेष की छाया में स्त्री क्या पढ़ रही थी ? उसका अर्थ लिखिए ।
2. पंचवर्गीय भिक्षु कौन थे ? ये गौतम से क्यों कहाँ मिले थे ?
3. धर्मचक्र कहाँ स्थित था ?
Answers
उपर्युक्त गद्यांश में दिये गये प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित है—
Explanation:
(अ) सन्दर्भ : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित तथा श्री जय शंकर प्रसाद द्वारा लिखित ' ममता ' नामक कहानी से लिया गया है।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या: लेखक का कहना है कि भारत में स्थित काशी एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसके उत्तर में सारनाथ स्थित है, जहाँ बौद्ध भिक्षकों के बौद्ध विहार टूटकर खण्डहरों में बदल चुके हैं। जिसको मौर्य वंश के राजाओं तथा गुप्तकाल के सम्राटो ने बनवाया था जिसमें तत्कालीन वास्तुकला तथा शिल्पकला के बेजोड़ नमूने अब भी दिखाई देते हैं जो कि मौर्य और गुप्त वंश के सम्राटों की कीर्ति का गान करते प्रतीत होते हैं। इन भवनों के शिखर टूट चुके थे तथा खण्डहरों की दीवारों पर घास-फूस और लताएं उग आयी थी। टूटी-फूटी ईंटों के ढेर में भव्य भारतीय शिल्पकला बिखरी पड़ी हुयी थी। ग्रीष्म ऋतु की शीतल चांदनी में यह भव्य शिल्पकला भी शीतल हो रही थी।
(स)
1. स्तूप के अवशेष की छाया में बैठी स्त्री 'अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते ' का पाठ कर रही थी जिसका अर्थ है जो भक्त अनन्य भावना से मेरा चिंतन करते हैं तथा उपासना करते हैं, मैं स्वयं उनका योग-क्षेम वहन करता हूँ।
2. गौतम बुद्ध के प्रथम पांच शिष्य पंचवर्गीय भिक्षु थे, जो काशी के उत्तर में स्थित सारनाथ नामक स्थान पर गौतम बुद्ध का उपदेश ग्रहण करने के लिए खण्डहरों में मिले थे।
3. मौर्य और गुप्त सम्राटों की कीर्ति के अवशेष रूप में धर्मचक्र सारनाथ स्थान पर स्थित था।