निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
यह एक नैतिक और आध्यात्मिक स्रोत है, जो अनन्त काल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण देश में बहता रहा है और कभी-कभी मूर्त रूप होकर हमारे सामने आता रहा है । यह हमारा सौभाग्य रहा है कि हमने ऐसे ही एक मूर्त रूप को अपने बीच चलते-फिरते, हँसते-रोते भी देखा है और जिसने अमरत्व की याद दिलाकर हमारी सूखी हड्डियों में नयी मज्जा डाल हमारे मृतप्राय शरीर में नये प्राण फूँके और मुरझाये हुए दिलों को फिर खिला दिया । वह अमरत्व सत्य और अहिंसा का है, जो केवल इसी देश के लिए नहीं, आज मानवमात्र के जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हो गया है ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांंश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. मानव-मात्र के जीवन के लिए क्या आवश्यक है ? इसका मूर्त रूप कौन है ?
या हमारे लेखक ने गद्यांश में क्या सन्देश देना चाहा है ? जिसका गद्यांश में वर्णन किया गया है ?
2. भारतीय संस्कृति में विद्यमान अमर-तत्व का स्रोत बताइए । यह हमारे सम्मुख किस रूप में आता रहा है ?
3. लेखक ने अमर-तत्त्व का स्रोत किसे बताया है ?
Answers
(अ) प्रस्तुत गद्यांंश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
➲ प्रस्तुत गद्यांश के पाठ के लेखक नाम ‘डॉ. राजेन्द्र प्रसाद’ है।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
➲ लेखक कहते हैं कि हमारी संस्कृति अमृततत्व से भरपूर है। इसका कारण हमारी संस्कृति की नैतिकता और आध्यात्मिकता है। हमारी संस्कृति प्राचीन काल से ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष के रूप में प्रभावित होती रही है। हमारी संस्कृति में प्रत्यक्ष रूप यानि मूर्त रूप में समय-समय पर जन्म लेते रहे हैं।
1. मानव-मात्र के जीवन के लिए क्या आवश्यक है ? इसका मूर्त रूप कौन है ? या हमारे लेखक ने गद्यांश में क्या सन्देश देना चाहा है ? जिसका गद्यांश में वर्णन किया गया है ?
➲ मानव मात्र के जीवन के लिए सबसे आवश्यक है कि वह सत्य और अहिंसा नमक अमर तत्वों का पालन करे। आज जब समाज में इतनी हिंसात्मक प्रवृत्ति पर चलन हो गया है तब ऐसे समय में सत्य और अहिंसा का पालन करने का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सत्य और अहिंसा के पालन करने के सबसे सशक्त उदाहरण राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं, जिसके बारे में जिनके बारे में इस गद्यांश में सांकेतिक रूप से बताया गया है।
2. भारतीय संस्कृति में विद्यमान अमर-तत्व का स्रोत बताइए । यह हमारे सम्मुख किस रूप में आता रहा है ?
➲ भारतीय संस्कृति में जो अमर तत्व विज्ञान विद्यमान है, उसका स्रोत भारतीय संस्कृति की नैतिकता और आध्यात्मिकता है, जो अनंत काल से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में अथवा मूर्त और अमूर्त रूप में हमारे सामने आता रहता है।
3. लेखक ने अमर-तत्त्व का स्रोत किसे बताया है ?
➲ लेखक ने अमर-तत्त्व का स्रोत भारतीय संस्कृति को बताया है।
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