निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
ईर्ष्या का बड़ी बेटी का नाम निन्दा है । जो व्यक्ति ईर्ष्यालु होता है, वही बुरे किस्म का निन्दक भी होता है । दूसरों की निन्दा वह इसलिए करता है कि इस प्रकार, दूसरे लोग जनता अथवा मित्रों की आँखों से गिर जाएँगे और जो स्थान रिक्त होगा, उस पर मैं अनायास ही बैठा दिया जाऊँगा ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांस के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अँश का व्याख्या कीजिए ?
(स) 1. ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की निन्दा क्या सोचकर करता है ?
2. ईर्ष्या के साथ और कौन-से अवगुण पनपते हैं ?
3. ईर्ष्यालु और निन्दक का क्या सम्बन्ध है ?
Answers
निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर
(अ) इस पाठ का का नाम ‘ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से’ है और इसके लेखक का नाम ‘रामधारी सिंह दिनकर’ है।
(स) इस पद्यांश की व्याख्या प्रकार है कि दिनकर जी का कहना है कि जैसे ही हमारे मन में ईर्ष्या की भावना जन्म लेती है वैसे ही उसके साथ निंदा की भावना भी पैदा हो जाती है। इसलिए निंदा ईर्ष्या की बड़ी बेटी माना गया है।जो व्यक्ति किसी के प्रति ईर्ष्या की भावना रखता है तो वह बढ़ा चढ़ाकर उसकी बुराई करता है और उस व्यक्ति की बुराई करने में उसे आनंद का अनुभव होता है और वह बुराई करने के साथ-साथ यह भी चाहता है कि जिन से वह उस व्यक्ति की बुराई कर रहा है वे लोग भी उस व्यक्ति की बुराई करें और किस प्रकार वह व्यक्ति दूसरों की नजरों में गिर जाए। इसलिए जो यदि व्यक्ति लोगों की नजरों में गिर जाएगा तो जो निंदक है अर्थात बुराई करने वाला है उसका स्थान ऊंचा हो जाएगा। ऐसा वह निंदक सोचता है।
(स) 1) ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरे की निंदा यह सोचकर करता है कि ऐसा करने से वह जिसके बारे में बुराई की जा रही है उस व्यक्ति को दूसरों की नजरों में गिरा देगा और उसका स्वयं का स्थान ऊँचा हो जायेगा।
2) ईर्ष्या के साथ-साथ निंदा की भावना जन्म लेती है। नकारात्मकता और बदले की भावना जैसा अवगुण पनपते हैं।
3) ईर्ष्यालु और निंदक का संबंध जन्म लेने देने वाला और जन्म लेने वाला जैसा संबंध है, क्योंकि ईर्ष्यालु व्यक्ति के मन में ईर्ष्या की भावना आते ही निंदा भी जन्म ले लेती है।