निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
"आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किन्तु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।" कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ चर्चा न करना ही उत्तम !
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उत्तर :
लेखक जब कवियों को समझाना चाहता है कि कीचड़ का तिरस्कार करना उचित नहीं है तो यह सोचकर कवि उसे कहेंगे कि जो वासुदेव की पूजा करने पर वसुदेव को नहीं पूजा जाता, हीरे के लिए अधिक कीमत देते हैं पर कोयले या पत्थर की अधिक कीमत नहीं देते तथा मोती कंठ में पहनते हैं पर सीपी को तो गले में नहीं बांधते हैं- वह उनसे कीचड़ की उपयोगिता के संबंध में कोई चर्चा न करना ही उचित समझते है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।।
लेखक जब कवियों को समझाना चाहता है कि कीचड़ का तिरस्कार करना उचित नहीं है तो यह सोचकर कवि उसे कहेंगे कि जो वासुदेव की पूजा करने पर वसुदेव को नहीं पूजा जाता, हीरे के लिए अधिक कीमत देते हैं पर कोयले या पत्थर की अधिक कीमत नहीं देते तथा मोती कंठ में पहनते हैं पर सीपी को तो गले में नहीं बांधते हैं- वह उनसे कीचड़ की उपयोगिता के संबंध में कोई चर्चा न करना ही उचित समझते है।
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