निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
nimnalikhit kaa aashay spaṣṭ keejie −
binaa uṭhe hee mainne apane thaile se durgaa maan kaa chitr aur hanumaan chaaleesaa nikaalaa. Mainne inako apane saath laa_e laal kapade men lapeṭaa, chhoṭee-see poojaa-archanaa kee aur inako barpha men dabaa diyaa. Aannd ke is kṣaṇa men mujhe apane maataa-pitaa kaa dhyaan aayaa.
बचेंद्री पाल
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nimnlikhit ka aashay yeh h ki, kavi apne maata aur pita ke bahut kareeb h, bhagvaan ki puuja archna krte samay bhi veh apne maata pita ke baare m soch raha tha.
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एवरेस्ट पर विजय के बारे में सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह एक रोमांचकारी और अभूतपूर्व अनुभव होता होगा; ऐसा अनुभव जिसको दोहराना नामुमकिन है। ऐसे में पर्वतारोही के लिए अपनी भावनाओं पर काबू रखना बहुत मुश्किल होता होगा। वह अलग-अलग तरीके से अपनी खुशी जाहिर करता होगा। लेखिका ने अपने आराध्य की पूजा करके और अपने माता पिता को याद करके उस विजय का जश्न मनाया।
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