निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -
(क) एकसरि भवन पिआ बिनु रे मोहि न जाए।
सखि अनकर दुख दारुन रे जग के पतिआए।।
(ख) जनम अवधि हम रूप निहारल नयन न तिरपति भेल।।
सेहो मधुर बोल स्रवनहि सूनल स्रुति पथ परस न गेल।।
(ग) कुसुमित कानन हेरि कमलमुखि, मुदि रहए दु नयान।
कोकिल-कलरव, मधुकर-धुनि सुनि, कर देइ झाँपई कान।।
Answers
(क) एकसरि भवन पिआ बिनु रे मोहि न जाए।
सखि अनकर दुख दारुन रे जग के पतिआए।।
इन पंक्तियों में नायिका का पति परदेश गया हुआ है| वह प्रियतम की अनुपस्थिति उसे बहुत पीड़ा दे रही थी| वह बहुत दुखी रहती थी| वह घर में अकेली रहती थी , ऐसे में घर उसे काटने को दौड़ने आता था| प्रियतम उसे परदेश में जाकर भूल गया था| यह स्थिति उसे कष्ट दे रही थी| सावन का महीना शुरू हो गया था , ऐसे में अकेला रहना प्रियतमा के लिए आसन नहीं था| वर्षा होने पर उसे सुख का देता था | पति से अलग होने का दुःख उसे बहुत सताता है, वह अपनी सखी से कहती है की हे सखी| पति के बिना मुझ से घर में अकेला नहीं रहा जाता है| वह आगे कहती है, की हे सखी | इस संसार में कोई मनुष्य है, जो किसी अन्य दूसरे के दुःख को अच्छे से नहीं समझ पाता है|
(ख) जनम अवधि हम रूप निहारल नयन न तिरपति भेल।।
सेहो मधुर बोल स्रवनहि सूनल स्रुति पथ परस न गेल।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रेमिका के दुःख का वर्णन करते है| अपने प्रेमी के साथ उसे बहुत समय हो गया है| परंतु अब तक वह तृप्त नहीं हो पाई है| वह जन्मो से अपने प्रियतम को देखती रही है, परंतु हर बार उसे देखने का ही मन करता है|
(ग) कुसुमित कानन हेरि कमलमुखि, मुदि रहए दु नयान।
कोकिल-कलरव, मधुकर-धुनि सुनि, कर देइ झाँपई कान।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रेमिका की हृदय की दशा का वर्णन किया गया है| कवि के अनुसार नायिका को ऐसा प्राकृतिक वातावरण अच्छा नहीं लगता है, जो संयोग से खाली हो | वह स्वयं वियोग की अवस्था में है| उसका प्रियतम उसे छोड़कर बहार गया हुआ है| वसंत के कारण वन विकसित हो रहा है| नायिका को यह दृश्य में जला रहा है| अत कमल के सामान सुंदर मुख वाली राधा हाथों को बंद कर देती है| इसी तरह फूलों में भवरें की आवज़ सुनने कण बंद कर लेती है| उसे रह-रहकर अपने प्रियतम को स्मरण हो जाता है|