Chemistry, asked by mrbaba2090, 10 months ago

निम्नलिखित के लिए धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता की गणना कीजिए।
(i) सरल घनीय, (ii) अंत:केंद्रित घनीय, (iii) फलक-केंद्रित घनीय।
(यह मानते हुए कि परमाणु एक-दूसरे के संपर्क में हैं।)

Answers

Answered by shishir303
2

(i) सरल घनीय में संकुलन क्षमता...

सरल घनीय जालक में घन के कोनों पर परमाणु तथा घन के किनारों पर अणु एक-दूसरे के संपर्क में होते हैं। इसलिये घन के किनारों की लंबाई ‘a’ और घन के कणों के अर्द्धव्यास में इस प्रकार संबंध होता है।

a = 2r

घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन = a³ = (2r)³ = 8r³

जैसा की ज्ञात है कि सरल घनीय कोष्ठका में सिर्फ एक परमाणु होता है।

इसलिये अध्यासित दिक्स्थाना का आयतन = 4/3πr³

इसलिये संकुलन क्षमता = [परमाणु का आयतन/सरल घनीय कोष्ठिका का आयतन] × 100

(4/3πr³/8r³) × 100

(π/6) × 100

(22/7×6) × 100

= 52.38%

= 52.4%

अतः सरल घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

52.4%

(ii) अंतः केंद्रित में संकुलन क्षमता...

संकुलन क्षमता = [एकक कोष्ठिका में दो गोलों द्वारा अध्यासित आयतन/एकक कोष्ठका का कुल आयतन] × 100

[2 × (4/3)πr³/{(4/√3)r³] × 100

= [(8/3)πr³/{64r³/(3√3)}] × 100

[8 × 3√3 × 22/ 3 × 64 × 7] × 100

अंतः केंद्रित घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

= 68%

(iii) फलक-केंद्रित घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

संकुलन क्षमता = [एकक कोष्ठिका में चार गोलों द्वारा अध्यासित आयतन/एकक कोष्ठका का कुल आयतन] × 100

= [4 × (4/3πr³)/(2√2r)³] × 100

= [(16/3)πr³/16√2r³] × 100

16 × 22 × 100/16 × √2 × 7 × 3

= 2200/21√2

फलक-केंद्रित घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

= 74%

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पाठ ‘ठोस अवस्था’ (रसायन विज्ञान - भाग 1, कक्षा - 12) के कुछ अन्य प्रश्नों के लिये नीचे दिये लिंक्स पर जायें...  

निम्नलिखित जालकों में से प्रत्येक की एकक कोष्ट्रिका में कितने जालक बिंदु होते हैं?  

(i) फलक-केंद्रित घनीय, (ii) फलक-केंद्रित चतुष्कोणीय, (iii) अंत:केंद्रित  

https://brainly.in/question/15470132

समझाइए-

(i) धात्विक एवं आयनिक क्रिस्टलों में समानता एवं विभेद का आधार।

(ii) आयनिक ठोस कठोर एवं भंगुर होते हैं।

https://brainly.in/question/15470117

Answered by Anonymous
1

Explanation:

(i) सरल घनीय में संकुलन क्षमता...

सरल घनीय जालक में घन के कोनों पर परमाणु तथा घन के किनारों पर अणु एक-दूसरे के संपर्क में होते हैं। इसलिये घन के किनारों की लंबाई ‘a’ और घन के कणों के अर्द्धव्यास में इस प्रकार संबंध होता है।

a = 2r

घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन = a³ = (2r)³ = 8r³

जैसा की ज्ञात है कि सरल घनीय कोष्ठका में सिर्फ एक परमाणु होता है।

इसलिये अध्यासित दिक्स्थाना का आयतन = 4/3πr³

इसलिये संकुलन क्षमता = [परमाणु का आयतन/सरल घनीय कोष्ठिका का आयतन] × 100

(4/3πr³/8r³) × 100

(π/6) × 100

(22/7×6) × 100

= 52.38%

= 52.4%

अतः सरल घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

52.4%

(ii) अंतः केंद्रित में संकुलन क्षमता...

संकुलन क्षमता = [एकक कोष्ठिका में दो गोलों द्वारा अध्यासित आयतन/एकक कोष्ठका का कुल आयतन] × 100

[2 × (4/3)πr³/{(4/√3)r³] × 100

= [(8/3)πr³/{64r³/(3√3)}] × 100

[8 × 3√3 × 22/ 3 × 64 × 7] × 100

अंतः केंद्रित घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

= 68%

(iii) फलक-केंद्रित घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

संकुलन क्षमता = [एकक कोष्ठिका में चार गोलों द्वारा अध्यासित आयतन/एकक कोष्ठका का कुल आयतन] × 100

= [4 × (4/3πr³)/(2√2r)³] × 100

= [(16/3)πr³/16√2r³] × 100

16 × 22 × 100/16 × √2 × 7 × 3

= 2200/21√2

फलक-केंद्रित घनीय में संकुलन क्षमता होगी...

= 74%

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