निम्नलिखित युग्मों के पदों में कैसे विभेद करोगे?
(i) षट्कोणीय निविड़ संकुलन एवं घनीय निविड़ संकुलन
(ii) क्रिस्टल जालक एवं एकक कोष्ठिका
(iii) चतुष्फलकीय रिक्ति एवं अष्टफलकीय रिक्ति
Answers
प्रश्न में दिये युग्मों के पदों में विभेद इस प्रकार है...
(i)
षट्कोणीय निविड़ संकुलन — इस संरचना में जब तीसरी परत को दूसरी परत पर रखा जाता है तो एक संभावना के अंतर्गत दूसरी परत की चतुष्फलकीय रिक्तियों को तीसरी परत के गोलों द्वारा ढका जा सकता है। ऐसी हालत में तीसरी परत के गोले पहली परत के गोलों के साथ पूरी तरह सरेखित हो जाते हैं। इस तरह गोलों का पैटर्न एकांतर परतों में पुनरावृत होता है। इस तरह की संरचना को षट्कोणीय निविड़ संकुलित संरचना कहा जाता है। मैग्नीशियम और जिंक जैसी धातुओं में इस तरह के परमाणुओं की व्यवस्था पाई जाती है।
घनीय निविड संकुलन — इस तरह के संकुलन में दूसरी परत के ऊपर तीसरी परत के ऊपर इस तरह रखी जाती है कि उसके गोले अष्टफलकीय रिक्तियों को ढकते हों। इस तरह से रखने पर तीसरी परत के गोल पहली या दूसरी परत के गोले के साथ सरेखित नही होते। इस तरह की व्यवस्था को C प्रकार की व्यवस्था कहा जाता है। इस व्यवस्था में केवल चौथी परत रखने पर उसके गोले पहली परत के गोलों के साथ सरेखित होते हैं। इस तरह की संरचना घनीय निविड़ संकुलित संरचना कहलाती है। ताँबा या चाँदी जैसी धातुयें इस संरचना में क्रिस्टलीकृत होती है।
(ii)
क्रिस्टल जालक — क्रिस्टल जालक क्रिस्टलीय ठोसों का मुख्य अभिलक्षण अवयवी कणों का नियमित और पुनरावर्त पैटर्न होता है। जब क्रिस्टल में अवयवी कणों की त्रिविमीय व्यवस्था को आरेख के रूप में निरूपित किया जाता है तो इसमें प्रत्येक बिंदु को चित्रित किया जाता है, तो इस व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं।
एकक कोष्ठका — एकक कोष्ठिका क्रिस्टल जालक का सबसे छोटा भाग होता है। जब इसे सभी दिशाओं में पुनरावृत्त किया जाता है, तो एक पूर्ण जालक बनता है।
(iii)
चतुष्फलकीय रिक्ति — चतुष्फलकीय रिक्तियां एक नियमित चतुर्थ फलक के शीर्ष पर स्थित चार गोलों द्वारा भी रहती हैं। इसमें दूसरी परत का गोला पहली परत की रिक्ति के ऊपर होता है। इस तरह एक रिक्ति बनती है। चार गोलों के केंद्र को मिलाकर चतुष्फलक बनाने पर ये रिक्ति बनती है, इसलिये इसे चतुष्फलकीय रिक्ति कहते हैं।
अष्टफलकीय रिक्ति — अष्टफलकीय रिक्तियां संपर्क में स्थित तीन गोलों द्वारा बनती हैं। दूसरी परत की त्रिकोणीय रिक्तियां पहली परत की त्रिकोणीय रिक्तियों के ऊपर होती हैं। इनकी त्रिकोणीय आकृतियां अतिव्यापक नहीं होतीं। एक में त्रिकोण का शीर्ष ऊर्ध्वमुखी और दूसरे में अधोमुखी होता है। इस तरह की रिक्तियां 6 गोलों से घिरी रहती हैं।
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