Chemistry, asked by SushilKesarwani9135, 9 months ago

निम्नलिखित को उचित उदाहरणों से समझाइए -
(i) लोहचुंबकत्व
(ii) अनुचुंबकत्व
(iii) फेरीचुंबकत्व
(iv) प्रतिलोहचुंबकत्व
(v) 12-16 और 13-15 वर्गों के यौगिक

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Answered by shishir303
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लौह चुंबकत्व — लौह चुंबकीय पदार्थ बेहद प्रबलता से चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। यह पदार्थ प्रबल अपने प्रबल आकर्षण के अतिरिक्त स्थाई रूप से चुंबक में परिवर्तित किए जा सकते हैं। जैसे कि लोहा, कोबाल्ट, निकल, गैडोलिनियम और CrO₂ आदि।

ठोस अवस्था में लौह चुंबकीय पदार्थों के धातु आयन छोटे-छोटे खंडों में एक साथ समूहित हो जाते हैं, जिन्हें डोमेन कहा जाता है। हर डोमेन एक छोटे चुंबक की तरह व्यवहार करने करता है। लौह चुंबकीय पदार्थ के अचुंबकीय टुकड़े में डोमेन अनियमित रूप से अभिविन्यासित होते हैं और उनका चुंबकीय आघूर्ण निरस्त हो जाता है। पदार्थ को चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमेन चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यास हो जाते हैं और फिर प्रबल चुंबकीय प्रभाव बनता है। चुंबकीय क्षेत्र को हटा लेने पर भी डोमेन का प्रभाव क्रम बना रहता है और इस तरह लौह चुंबकीय पदार्थ स्थायी चुंबक बन जाते हैं। चुंबकीय पदार्थों की इस प्रवृत्ति को लौह चुंबकत्व कहते हैं।

अनुचुंबकत्व — चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होने वाले पदार्थ अनुचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों का यह गुण अनु चुंबकत्व कहलाता है। अनु चुंबकीय पदार्थ चुंबकीय क्षेत्र की ओर दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं और यह चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में ही चुंबकित हो जाते हैं। यह पदार्थ चुंबकीय क्षेत्र के अभाव में अपना चुंबकत्व का गुण खो देते हैं। इन पदार्थों का अनु-चुंबकत्व का गुण एक या एक से अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण होता है, जो चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। जैसे कि Cu²⁺, fe³⁺, Cr³⁺ और O₂।

फेरीचुंबकत्व — जब किसी पदार्थ में डोमेनो के चुंबकीय गुणों का संरेखण समांतर और प्रतिसमांतर दिशा में असमान होता है, तब वे पदार्थ में फेरी-चुंबकत्व का गुण प्रदर्शित करते हैं। फेरीचुंबकत्व लौह चुंबकत्व की तुलना में चुंबकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं। फेरी चुंबकत्व का गुण रखने वाले पदार्थ गर्म करने पर अपना फेरीचुंबकत्व का गुण खो देते हैं और अनुचुंबकीय पदार्थ बन जाते हैं। जैसे कि मैग्नेटाइट (Fe₃O₄) और फेराइट (MgFe₂O₄, ZnFe₂O₄)।

प्रति-लौहचुबंकत्व — प्रति-लौहचुंबकत्व का गुण प्रदर्शित करने वाले पदार्थों में डोमेन संरचना लौह चुंबकीय पदार्थों के समान होती है। लेकिन उनके डोमेन एक-दूसरे के विपरीत अभिविन्यासित होते हैं और एक दूसरे के चुंबकीय आघूर्ण को निरस्त कर देते हैं। जब चुंबकीय गुण इस प्रकार अभिविन्यास होते हैं कि कुल चुंबकीय आघूर्ण शून्य हो जाये तब यह चुंबकत्व का गुण प्रति-लौहचुंबकत्व कहलाता है।

12-16 और 13-15 वर्गों के यौगिक — 12 वर्ग के तत्वों और 16 वर्ग के तत्वों से बने यौगिक 12-16 वर्ग के यौगिक कहलाते हैं। जैसे ZnS, HgTe आदि।

13 वर्ग के तत्वो और 15 वर्ग के तत्वों से बने योग 13-15 वर्ग के यौगिक कहलाते हैं, जैसे GaAs, AIP आदि।

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पाठ ‘ठोस अवस्था’ (रसायन विज्ञान - भाग 1, कक्षा - 12) के कुछ अन्य प्रश्नों के लिये नीचे दिये लिंक्स पर जायें...    

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Answered by Anonymous
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Explanation:

लौह चुंबकत्व — लौह चुंबकीय पदार्थ बेहद प्रबलता से चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। यह पदार्थ प्रबल अपने प्रबल आकर्षण के अतिरिक्त स्थाई रूप से चुंबक में परिवर्तित किए जा सकते हैं। जैसे कि लोहा, कोबाल्ट, निकल, गैडोलिनियम और CrO₂ आदि।

ठोस अवस्था में लौह चुंबकीय पदार्थों के धातु आयन छोटे उनके डोमेन एक-दूसरे के विपरीत अभिविन्यासित होते हैं और एक दूसरे के चुंबकीय आघूर्ण को निरस्त कर देते हैं। जब चुंबकीय गुण इस प्रकार अभिविन्यास होते हैं कि कुल चुंबकीय आघूर्ण शून्य हो जाये तब यह चुंबकत्व का गुण प्रति-लौहचुंबकत्व कहलाता है।

12-16 और 13-15 वर्गों के यौगिक — 12 वर्ग के तत्वों और 16 वर्ग के तत्वों से बने यौगिक 12-16 वर्ग के यौगिक कहलाते हैं। जैसे ZnS, HgTe आदि।

13 वर्ग के तत्वो और 15 वर्ग के तत्वों से बने योग 13-15 वर्ग के यौगिक कहलाते हैं, जैसे GaAs, AIP आदि।

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