निम्नलिखित काव्यांश को को धायनपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नो के उतर लिखिए : बिहसि लखनु बोले मृर्दु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।। पुनि पुनि मोहि र्देखाव कुठारू| चहत उद फूंकि पहारू।। इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं। जे तरजनी र्देखि मरि जाहीं।। र्देखि कुठारू सरासन बाना । मैं कछु कहा सहित अभिमान।। भृगुसुत समुजि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिसरोकी सुरमहिसुए हरिजन अरू गई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।। बधे पापु अपकीरति हरे। मरतहु पा परिअ तुम्हारे|| कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। व्यर्थ धरहु धनु बानकुठारा।। क) रधुकुल की परंपरा की क्या विशेषतए बताई गई हैं? ख) “इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नहीं। जे तरजनी र्देखि मरि जाहीं। “ कहकर लक्ष्मण ने अपनी कौन सी विशेषतए बताई हैं? ग) प्रस्तुत कव्यश में ‘कुम्हडबतिया’ शब्द किससे लिए प्रयोग किया गया है?
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क) लक्ष्मण नेअपने कुल रघुकुल की उस परंपरा का उल्लेख किया है जिसके अनुसार देवता, ब्राह्मण ,भगवान के भक्त और गाय इन चारो पर वीरता नहीं दिखाई जाती क्योंकि उनका वध करना या उनसे हारना दोनों ही ठीक नहीं माने जाते इनका वध करने से पाप का भागीदार बनना पड़ता है तथा इन से हारने पर अपयश फैलता है।
ख) लक्ष्मण ने अपने लिए कुम्हड़बतिया शब्द का प्रयोग इसलिए किया है कि वह भी वीर ,साहसी तथा निर्भीक है । वह कुम्हड़े के कच्चे फल की तरह दुर्बल नहीं है जो आपके डराने-धमकाने और फरसा दिखाने से भयभीत हो जाए।
ग) प्रस्तुत काव्यांश में यह शब्द बहुत कमज़ोर, व्यक्ति के के लिए प्रयोग किया गया है।
ख) लक्ष्मण ने अपने लिए कुम्हड़बतिया शब्द का प्रयोग इसलिए किया है कि वह भी वीर ,साहसी तथा निर्भीक है । वह कुम्हड़े के कच्चे फल की तरह दुर्बल नहीं है जो आपके डराने-धमकाने और फरसा दिखाने से भयभीत हो जाए।
ग) प्रस्तुत काव्यांश में यह शब्द बहुत कमज़ोर, व्यक्ति के के लिए प्रयोग किया गया है।
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