निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें -
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरद खाद्य श्रृंखला
(ख) उत्पादन एवं अपघटन
(ग) ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड
Answers
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरद खाद्य श्रृंखला में अंतर :
चारण खाद्य श्रृंखला :
(1) इस प्रकार की खाद्य श्रृंखला सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा पर आधारित होती है।
(2) यह हरे पादपु अथवा उत्पादकों से आरंभ होकर शाकाहारी छोटे जीवों से मांसाहारी बड़े जीवों पर समाप्त होती है।
(3) इसमें प्रत्येक पोषक स्तर पर जीवों का आकार तो बढ़ता जाता है परंतु संख्या कम होती जाती है।
(4) इस प्रकार की श्रृंखला प्राय: लंबी होती है और अपघटकों पर जाकर खत्म होती है।
अपरद खाद्य श्रृंखला :
(1) यह अप्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा पर आधारित नहीं होती है।
(2) यह खाद्य श्रृंखला मृत व गले सड़े पदार्थों से प्रारंभ होकर सूक्ष्म उपभोक्ता या अपघटक की ओर अग्रसर होती है।
(3) इसमें भी निरंतर पोषक स्तरों का आकार बढ़ता जाता है।
(4) यह श्रृंखला चारण खाद्य श्रृंखला की तुलना में छोटी होती है।
(ख) उत्पादन एवं अपघटन में अंतर :
उत्पादन :
(1) इस प्रक्रिया में पादपों द्वारा सूर्य के प्रकाश में अकार्बनिक पदार्थ का उत्पादन होता है।
(2) इन्हें प्रकाश की आवश्यकता होती है।
(3) ये उपचय प्रक्रिया है।
(4) ये उर्जा ग्रहण करते हैं।
(5) यह हरे पादपों प्रकाश संश्लेषी जीवाणु द्वारा होता है।
अपघटन :
(1) इस प्रक्रिया में अपघटक अपशिष्ट को तोड़कर उनका अपघटन करते हैं।
(2) इन्हें प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है।
(3) ये अपचय प्रक्रिया है।
(4) ये उर्जा निर्मुक्त करते हैं।
(5) यह सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है।
(ग) ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड में अंतर :
ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) :
(1) इस प्रकार के पिरामिड में उत्पादकों की संख्या अधिक होती है।
(2) ऊर्जा का पिरामिड हमेशा सीधा बनता है।
(3) इसमें उपभोक्ताओं की संख्या निरंतर कम होती जाती है।
(4) घास के मैदान के परिस्थितिकी तंत्र के लिए जनसंख्या का पिरामिड सीधा प्राप्त होता है।
(5) तालाब पारिस्थितिक पारितंत्र में कभी-कभी जनसंख्या का पिरामिड सीधे बनते हैं ।
अधोवर्ती पिरैमिड :
(1) इस प्रकार के पिरामिड में उत्पादकों की संख्या कम होती है।
(2) जीवों की संख्या और जैव भार के पिरामिड उल्टे होते हैं।
(3) इसमें उपभोक्ताओं की संख्या निरंतर बढ़ती होती जाती है।
(4) तालाब पारिस्थितिक पारितंत्र के लिए जैव भार का पिरामिड उल्टा प्राप्त होता है
(5) वृक्ष के पारितंत्र में जीव भार का पिरामिड उल्टा बनता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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प्रासंगिक सौर विकिरण में प्रकाश संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण का क्या प्रतिशत होता है?
(क) 100%
(ख) 50%
(ग) 1-5%
(घ) 2-10%
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द्वितीयक उत्पादक हैं-
(क) शाकाहारी (शाकभक्षी)
(ख) उत्पादक
(ग) मांसाहारी (मांसभक्षी)
(घ) उपरोक्त कोई भी नहीं
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Explanation:
(
(3) इसमें भी निरंतर पोषक स्तरों का आकार बढ़ता जाता है।
(4) यह श्रृंखला चारण खाद्य श्रृंखला की तुलना में छोटी होती है।
(ख) उत्पादन एवं अपघटन में अंतर :
उत्पादन :
(1) इस प्रक्रिया में पादपों द्वारा सूर्य के प्रकाश में अकार्बनिक पदार्थ का उत्पादन होता है।
अपघटन :
(1) इस प्रक्रिया में अपघटक अपशिष्ट को तोड़कर उनका अपघटन करते हैं।
(ग) ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड में अंतर :
ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) :
(1) इस प्रकार के पिरामिड में उत्पादकों की संख्या अधिक होती है।
अधोवर्ती पिरैमिड :
(1) इस प्रकार के पिरामिड में उत्पादकों की संख्या कम होती है।
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